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अप्रिल २००७
शुभ योगनी लीलालहरि छइ । वली ए पूजा कहेवी ? शिवमंदिरनी - मोक्षमंदिरे जावा नीसरणी छई ॥४॥
अहो भव्य प्रांणी, तूमे जिननें पूजा । एतलै प्रथम पूजा न्हवणनी थई । इहां भगवंतनें नमण करावई ॥१॥
॥ इति प्रथम न्हवण पूजा ॥१॥
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राग - रामगिरी । ढाल - जयमालानी ।
हवई बीजी पूजा कहे छें रामगिरि रागें पूजा छे तें कहीश । ढाल जयमालानी देशीयइं कहे छ ।
बावना चंदन सरस गोसीसमां, घसीय घनसारस्युं कुंकुमा ए । कनकमणि भाजनां सुरभिरस पूरियां, तिलक नव प्रभु करो अंगमा ए ॥१ ॥
मलयाचलनुं बावनाचंदन वली रसइं सहित गोशीर्षचंदनमांहिं घसीइं । वली घसीनई घनसार क. बरास- कपूर एकठो करीनें कुंकुम कहतां केसर साथ कृष्णवाडीनुं खाटी कुंकुंशब्द कष्णो छ । वली स्यूं सोनानां कचोला, रूपानां प्याला, तें (ने) कनकमणिनां भाजनमां चंदने भयूँ छई । ते पणि सुगंध द्रव्यनई रसई एहवां भाजनमांहिथी चंदन लेईनें भली व्यु (यु) गतिं तिलक नव प्रभुना अंगनें विषई करी, नव वाडी विशुद्धि नव ठामें विसुद्ध सुशीलना, तथा नव अशुभ निदान टालवानी भावनाइ । ते नव तिलक कुण कुण ठाम ते कहई छ ।
चरण १ जानु २ कर ३ अंस ४ सिर ५ भालि ६ गलि ७, कंठि हृदि ८ उदरे ९ जिननें दीजीइं ए । देवना देवनुं गात्र विलेपतां, हरि प्रभो दुरित कही लीजीइ ए ॥२॥
बे अंगूठा चरणना पगनो डाबो जमणो १। ढींचण बे पगना डाबुं जणुं २ | हाथ, डाबूं जमणुं ३ | अंसे बे खभा - डाबो जिमणो ४ । सिर तेह समें द्वार तिलक ५ । भाल ते निलाडें तिलक करें ६ । गलि, कंठि
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