SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 42
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ ओप्रिल-२००७ 37 जिनबिम्बने तो ९ अंगे तिलक करवानां ज, परन्तु ते करतां अगाऊ, पूजके पोताना अंग पर पण ४ तिलक करवानां छे, ते आ प्रमाणे - "अहो भालथल, कंठ, रिदय, उदरि च्यार, सयं पूजाकार" अर्थात् पूजा करनारे, पोताना ललाटे - भगवाननी आज्ञा माथे चडाववानी भावना साथे १, कंठे - प्रभुना गुण गावानी भावनापूर्वक २, हृदये - प्रभुना गुणोना चिन्तननी भावनाथी ३, उदरे - प्रभुगुणगाननी अतृप्ति : हजी ये पेट भरायुं नथी - एवा भाव साथे ४, आम ४ तिलक करवानां छे; ते माटेनो द्रव कपूर, अगरु, कस्तूरी, चन्दन ए ४ थकी नीपजाववानो छे. (६) कुमारपाले पांच कोडीना फूले पूजा कर्यानी वार्ता जाणीती छे. अहीं १२मी पूजा (गीत)मां सात कोडीनां १८ फूल वडे पूजा करवाथी १८ देशनो राजा थवानी वात जोवा मळे छे. तो तेरमी पूजामा 'नंदावर्तक' नो परिचय 'नवखूणालो साथीओ' एवो आपेल छे. आवी बीजी पण अनेक वातो, विषयो, जिज्ञासुने आमांथी जडी शके. अहीं तो मात्र दिशानिर्देश कर्यो छे. बे हस्तप्रतोने आधारे साध्वी श्री दीप्तिप्रज्ञाश्रीजीए आ वाचना यथामति तैयार करी छे; बन्नेना पाठो, संकलन तेमणे ज कर्यु छे. पाठान्तरो पण घणी चीवटपूर्वक तेमणे ज लीधां-नोंध्या छे. आम छतां तेमां कोई क्षति जणाय तो सुधारी लेवानो अनुरोध छे. तेमने आ श्रमसाध्य काम कुशलतापूर्वक करवा माटे धन्यवाद घटे छे. आ बन्ने प्रतोनी झेरोक्स आपवा माटे ते ते ज्ञानभण्डारोना कार्यवाहकोनो आभार मानवो ज जोईए. . थोडाक शब्दो चूलातला (?) (पूजाप्रारम्भनी त्रीजी गाथामां) ढौकन (अर्पण, धरवा) योग्य पदार्थ-(फल-नैवेद्यादि) उपायलो 'ऊचाट'ना अर्थमां, पर्याय तरीके प्रयुक्त ढोणु Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.520539
Book TitleAnusandhan 2007 04 SrNo 39
Original Sutra AuthorN/A
AuthorShilchandrasuri
PublisherKalikal Sarvagya Shri Hemchandracharya Navam Janmashatabdi Smruti Sanskar Shikshannidhi Ahmedabad
Publication Year2007
Total Pages106
LanguageSanskrit, Prakrit
ClassificationMagazine, India_Anusandhan, & India
File Size5 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy