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अनुसन्धान- ३८
से प्रो. क्रिस्टोफर चैपल, प्रो. लॉरा कार्नेल, प्रो. पिओत्र बल्कोविज, समणी कुसुमप्रज्ञाजी, समणी मल्लिप्रज्ञाजी, प्रो. मुल्कराज मेहता, प्रो. विमला कर्णाटक, प्रो. कोकिला शाह, प्रो. शशिप्रभाकुमार, प्रो. दयानन्द भार्गव आदि ने विशेष रूप से अपने शोधपत्र प्रस्तुत किए. इस कार्यक्रम में युवा जैन मुनि विद्वान गणिवर्य श्री यशोविजयजी म.सा., स्वामीनारायण सम्प्रदाय के षड्दर्शनाचार्य साधु श्री श्रुतिप्रकाशस्वामी तथा जैन विश्वभारती की वाईसचान्सलर समणी श्रीमङ्गलप्रज्ञाजी की ओर से भी शोधपत्र प्रेषित किये गए थे जो उनके प्रतिनिधियों द्वारा पढ़े गयें. अन्तिम दिन संगोष्ठी का समापन अहमदाबाद स्थित लालभाई दलपतभाई भारतीय संस्कृतिविद्यामन्दिर के निदेशक डॉ. जे.बी. शाह के उद्बोधन से हुआ. आपश्री ने जैन योग पर आयोजित विद्वानों की इस संगोष्ठी की उपलब्धियों पर विस्तार से प्रकाश डाला तथा इसे आयोजित करने हेतु संस्थान की अनुमोदना की. धन्यवाद प्रदान करते हुए उपाध्यक्ष श्री नरेन्द्रप्रकाश जैन ने कहा कि यह एक अच्छी शुरुआत है तथा आगे हमें अभी तक जैन योग के जिन क्षेत्रों में कार्य नहीं हुआ है उनकी खोज करनी है. प्रो. दयानन्द भार्गव आदि विद्वानों ने इस प्रकार के प्रथम आयोजन की सराहना करते हुए संस्थान की प्रगति की कामना की.
११वां आचार्य हेमचन्द्रसूरि पुरस्कार प्रदान समारोह सम्पन्न :
भोगीलाल लहेरचंद इन्स्टिट्यूट ऑफ इण्डोलॉजी तथा जसवंता धर्मार्थ ट्रस्ट के संयुक्त तत्त्वावधान में प्रो. मधुकर अनन्त महेन्दले (पूना) को ग्याहरवें आचार्य हेमचन्द्रसूरि पुरस्कार से सम्मानित किया गया. यह पुरस्कार प्रतिवर्ष प्राकृत भाषा के समर्पित विद्वान को उसके अद्वितीय योगदान के लिए जसवंता धर्मार्थ ट्रस्ट द्वारा दिया जाता है. इस पुरस्कार में रू. ५१,०००/- की नगद राशि, आचार्य हेमचन्द्र की स्वर्ण मण्डित प्रतिमा तथा प्रशस्तिपत्र तथा शाल आदि सम्मिलित है. वर्ष २००५ के लिए इस पुरस्कार से प्रो. मधुकर अनन्त महेन्दले को स्वामी श्री वेदभारतीजी द्वारा सन्मानित किया गया. इस अवसर पर भाषाविद् प्रो. नामवर सिंह ने प्रो. महेन्दले की उपलब्धियों तथा गुणों पर प्रकाश डाला. प्रो. मधुकर महेन्दले भाण्डारकर ओरियन्टल रीसर्च इन्स्टिट्यूट, पूना में ८९ वर्ष की आयु में आज भी कार्यरत हैं. प्राकृत भाषा के लिए अपना जीवन समर्पित कर दिया है.
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