________________
1
अनुक्रमणिका श्रीजयसिंहसूरिकृत पञ्चकपरिहाणि तथा आलोचनाविधान
___ सं. विजयशीलचन्द्रसूरि श्रीनवफणापार्श्वनाथस्तव सं मुनिकल्याणकीर्तिविजय हयाटाखाट काव्य-सटीक सं. मुनि कल्याणकीर्तिविजय सारंगमुनिप्रणीता सूक्ति द्वात्रिंशिका सं. अमृत पटेल
10
20
राजगच्छीय धर्मघोषवंशीयश्रीहरिकलशयतिविरचिता मेदपाटदेश-तीर्थमाला
सं० म० विनयसागर
38
श्रीमद्भगवद्गीता के 'विश्वरूपदर्शन' का - जैन दार्शनिक दृष्टि से मूल्यांकन
डॉ. नलिनी जोशी
विहंगावलोकन
उपा. भुवनचन्द्र
माहिती
Jain Education International
For Private & Personal Use Only
www.jainelibrary.org