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दूंक नोंध :
(१) निष्कुळानन्दकृत शियळनी नव वाडनां पदो विषे
निष्कुळानन्द ए स्वामिनारायण सम्प्रदायना संत अने कवि हता. १९मा सैकामां ते थई गया. तेमणे सम्प्रदायनी दृष्टिए प्रभुभजननी हजारो रचनाओ रची छे, अने उत्तम कवि तरीके तेमनी ख्याति छे. जैन न होवा छतां तेमणे जैन धर्मनां शास्त्रोमां वर्णवेल ब्रह्मचर्यनी ९ वाडो विषे ढाळियां (पदो) बनाव्यां छे. तेमां दरेक ढाळमां भगवान महावीरनुं नाम तथा तेमणे वर्णन करेलुं छे ते ज प्रमाणे ते ते वाडना विषयनुं गेय-काव्यमय निरूपण बहु रुडी रीते कर्तुं छे. आ रचना ई. १९१६ना जैन श्वे. को. हेरल्ड नामे सामयिकमां (पु. १२, अंक ८- ९ - १०) मोहनलाल दलीचंद देशाईए प्रगट करी छे : 'जैन धर्मनो अन्य धर्मोमां उल्लेख' एवा पेटाशीर्षक हेठळ.
जोके स्वा. ना. सम्प्रदाय द्वारा प्रकाशित निष्कुलानन्दनी रचनाओना सर्वसंग्रह जेवां पुस्तकोमां आ रचनानो समावेश थयेलो जोवा मळ्यो नथी. पण ते तो साम्प्रदायिक व्यवस्था होय ने ! ओमां कवि अने तेनुं साहित्य कांई प्रधान न होई शके ! अस्तु.
(२) नेशनल मिशन फोर मेन्युस्क्रिप्ट विषे
भारत सरकारना सांस्कृतिक मन्त्रालय द्वारा प्रायोजित आ मिशनना उपक्रमे, जे कोई संस्था आ व्यक्ति पासे, हस्तलिखित प्रति जेवी सामग्री होय तेनी सूचि, मान्य संस्थाने आपवानी सूचना जारी करवामां आवी छे. आ सामग्रीनुं केन्द्रित सूचीकरण थाय तो तेनो उपयोग थई शके अने ते देशबहार जती रोकाय, तेवो आशय होवानुं पण जाणवा मळे छे.
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गुजरातनो सम्बन्ध छे त्यां सुधी आवी सामग्रीना नाना-मोटा केटलाक संग्रहो जैनो पासे पण छे. तेनी सारसंभाळ जैन संघो के मुनिओ द्वारा थती होय छे.
वर्तमानपत्रो द्वारा आ कार्यक्रमनी जाण थया पछी, केटलाक मुनिराजोए आ कार्यक्रमना भीतरी हेतुओ विशे जाणकारी प्राप्त करवाना उचित प्रयास कर्या, पण सन्तोषजनक समाधान न मळ्युं. सवाल ए हतो के ई. १९७२
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