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फेब्रुआरी - 2006
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॥ कपूर हुवें अति ऊजलो रे । ए देशी ॥ देवी देव मनावतां रे, नीठ थयो सुत एक; कामातुर तिरिया वसे रे, मातसुं मांड्यो द्वेक... भविकजन; विषय महाबलवंत. होजी कोई जीत्या छे संत महंत...
भ० .. १ सिटत पटित कलेवरु रे, काकजंघा सम स्वान; तसु के. लाग्यो फिरें रे,विषय करी हयरान... भ० रिद्ध वृद्ध कुलविध तजी रे, पायक भीम समान; मयणवसें दुःखीयो थयो रे, मूंज महाराजान... लंकापति अतुली बली रे, सुरपति पदवी सार; धरणी तसु मस्तक रुल्या रे, हह विषय विकार... भ० केसफरस नियाणो कीयो रे, व्रत पाल्यो बहु काल; संभूत चक्रवरति बारमो रे, जायें सत्तम पायाल.... भ० विषय-फल विष सारिका रे, जे सेवें नरनार; ते दुरगति दुःख पामसे रे, न लहें सास लगार.... भ० ... कामनी मिरगफासमें रे, पडें तब पिछताय; जीवत चूंट कालजो रे, मुंवां नरक ले जाय.... भ० इम जाणीने तुम तजो रे, विषय चतुर सुजान; सीस सुगुर सरूपनो रे, पभणे इम रुषिमान... भ० ... ८
इति विषयत्याग गीतम् ॥
(१०) गोतम प्रश्न कीयो भलोजी, चरणा सीस नमाय; काल पंचम आयो थकोजी, जाणीजे किण प्राय. हो प्राणी; जोवो अरथ विचार... १ वीर जिनेश्वर इम कह(हे)जी, सुण गोतम सुवनीत; ग्यानीयें असो कडोजी, जाणीजे इण रीत... हो प्रा० ..... २
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