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________________ 40 अनुसन्धान ३२ मेघदूत-खण्डनानी आ वाचना, २७ पानांनी एक, १७मा शतकमां ज लखायेली जणाती हाथपोथीनी जेरोक्स प्रतिकृति उपरथी तैयार थई छे. प्रति अशुद्ध छे. केटलोक अंश छूटी गयो छे: पत्रो तूटतां नथी छतां पाठ तूट्यो छे तेमां लेखक- अनवधान काम करी गयुं हशे तेम लागे छे. आ नकल मने मुनिराज श्रीधुरन्धरविजयजी महाराजे केटलांक वर्षो पूर्वे आपी हती. प्राय: ते तेओना निजी संग्रहनी प्रति हशे. आ रचना अधूरी छे. ते आखी क्यांक ने क्यांक होवी ज जोईए. एक धारणा मुजब आगराना धर्मलक्ष्मी ज्ञानभण्डारमा आनी पूर्ण प्रति हती. आ संग्रह हाल कोबाना श्रीकैलाससागरसूरिश्रुतभण्डारमा होवानुं सांभळ्युं छे. जो ते आखी प्रति मळी शकशे, तो आ आखी कृतिनुं सम्पादन करवानी भावना रहे छे. मेघदूतमा विश्राम के सर्ग एवा विभाग नथी. फक्त पूर्वमेघ अने उत्तरमेघ एम बे ज विभाजन होय छे. परन्तु अहीं तो प्रथम विश्राम ४२ पद्योमां पूरो थतो जोवा मळे छे, अने पछी १२ ज पद्यो थतां ज प्रथम सर्ग पूर्ण थयेलो वर्णवायो छे. अध्येताओ माटे आ मुद्दो नोंधपात्र छे. ५४मा पद्यनी वृत्ति प्रतिमां ज नथी; पद्यनो पाठ आपीने प्रति पूरी थई छे. परिशिष्टरूपे प्रतिगत पद्यो तेमज मुद्रित पुस्तकगत पद्योनी तालिका आपेल छे, जे अभ्यासीओ माटे उपयुक्त बने तेम छे. स्व. पण्डित दलसुखभाई मालवणिया ला. द. विद्यामन्दिरना नियामक पदे हता त्यारे एक एवो विचार तेमणे व्यक्त करेलो के "जैन साधुओए कालिदास-माघ-भारवि-श्रीहर्ष वगेरे महाकविओनां महाकाव्यो पर अनेक टीकाओ लखी छे. तेनी पोथीओ पण विपुल मात्रामां प्राप्य छे. ते पोथीओमां नोंधायेल ते ते काव्योनी वाचनाओ नोंधाय तो ते तमाम काव्योनी वधु सशक्त अने वधु साची के सारी वाचनाओ उपलब्ध अवश्य थाय." प्रस्तुत टीका-कृतिमां जोवा मळता अमुक पाठ ते आ वातने पुष्टि आपी जाय छे. आ बहु रसप्रद तेमज महत्त्वपूर्ण मुद्दो छे. आ प्रति परथी कृतिनी सुवाच्य नकल मुनि श्रीकल्याणकीर्तिविजय जीए वर्षों पूर्वे करी आपेली छे. प्रतिनी नकल आपवा बदल मुनिमित्र श्री धुरन्धरविजयजीनो ऋणस्वीकार करूं छु. आनी अन्य प्रति/प्रतिओ मेळवी आपवा विद्वज्जनोने – मुनिराजोने विज्ञप्ति करुं छु. Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.520532
Book TitleAnusandhan 2005 06 SrNo 32
Original Sutra AuthorN/A
AuthorShilchandrasuri
PublisherKalikal Sarvagya Shri Hemchandracharya Navam Janmashatabdi Smruti Sanskar Shikshannidhi Ahmedabad
Publication Year2005
Total Pages118
LanguageSanskrit, Prakrit
ClassificationMagazine, India_Anusandhan, & India
File Size6 MB
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