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________________ 68 अनुसंधान-३० धर्मतिलक विजयजीए ‘पञ्चस्तोत्राणि'मां पुनः प्रगट करेल छे. म.विनयसागर सम्पादित बे भावमधुर अने विद्वत्तासभर स्तोत्र श्रीवल्लभोपाध्यायनी काव्यकला तथा विद्वत्त्वनो सुपेरे परिचय आपी जाय छे. प्रथम स्तोत्रमा यमकअलंकारनी रमझट छे, बीजामा समस्यात्मक वातो गूंथी लेवामां आवी छे. तिमिरीपुर पार्श्वनाथ स्तोत्रना ५मा श्लोकमां 'त्वं' छपायु छे त्यां त्वां' होवू जोइए. श्री कुन्दकुन्दाचार्यनी रचेली मनाती कृतिओना भाषास्वरूपनो समीक्षात्मक अभ्यास डो. शोभना शाहे प्रस्तुत कर्यो छे ते ध्यानार्ह छे. ग्रन्थनी भाषा अने तेमां प्रयुक्त शब्दो ग्रन्थनो रचनाकाळ निश्चित करवा माटेगें एक प्रमुख साधन छे. लिंगप्राभृत, शीलप्राभृत अने बारस अणुवेक्खामां प्राप्त कारक प्रत्ययो, क्रियापद प्रत्ययो अने कृदन्तरूपोनी तुलना 'प्रवचनसार ना रूपो साथे करीने लेखिकाए एक वात स्पष्ट करी आपी छे के प्रवचनसार रचनानी दृष्टिए पूर्वतन छे, अन्य कृतिओ परवर्ती कालनी जणाय छे. एक ज लेखकनी कृतिओमां व्याकरणसम्बन्धी आटलो तफावत संभवित न गणाय. प्रवचनसारमा अपभ्रंश रूपो जोवा नथी मळता, किंतु संस्कृतनी नजीक होय एवां रूपो खास जोवा मळे छे. अन्य त्रण कृतिओमां अपभ्रंश प्रयोगोनी हाजरी छे. ए कृतिओना रचयिता श्रीकुन्दकुन्दाचार्य नहीं पण कोई परवर्ती मुनि/आचार्य होवानो निष्कर्ष आ विगतोना आधारे नीकळे छे. __'भवस्थितिस्तवन' वि. १७मी सदीनी रचना छे. शास्त्रीय विषयने स्तवनादि रूपे गूंथी लेवानी परिपाटी एक समये बहु प्रचलित हती. प्रस्तुत कृतिमां चार गतिनां जीवोना आयुष्यनी विगतो गूंथी लेवामां आवी छे. शुष्क आंकडारूप माहितीने प्रभु समक्ष विनंति रूपे बहु सहजताथी वणी लीधी छे. कडी १९मां 'मल्यादिक' छे त्यां 'मत्स्यादिक' शब्द सुसंगत थाय छे. कडी २२मां 'अणुं'ने स्थाने संभवित शुद्ध पाठ 'आणंउ' कौंसमां बताववानी जरूर हती. हर्षकुल कवि रचित 'वसुदेव चुपइ' मध्यकालीन गुजरातीमां जैनमुनिरचित साहित्यनी एक विशिष्ट कृति गणी शकाय. म.गु.भाषाना अभ्यासीओ माटे आ एक स-रस पठनसामग्री बनी रहे छे. कृतिनी वाचना Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.520530
Book TitleAnusandhan 2004 12 SrNo 30
Original Sutra AuthorN/A
AuthorShilchandrasuri
PublisherKalikal Sarvagya Shri Hemchandracharya Navam Janmashatabdi Smruti Sanskar Shikshannidhi Ahmedabad
Publication Year2004
Total Pages86
LanguageSanskrit, Prakrit
ClassificationMagazine, India_Anusandhan, & India
File Size4 MB
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