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________________ 26 अनुसंधान-२९ चोथी 'चोथ'नी 'चाल'मां पहेली ज कडीमां चारनी कमाल दर्शावतां, चोथो युग, चोवट, चोथु अंग, चतुर्विध जगत्, चार गति, चार वर्ण एम तमाम पदार्थोने सांकळी ले छे. वेद-पुराण-कुरान ने सिद्धान्त (जैन आगम) ने साथे साथे राखीने तेमां आवती भिन्नतानु सौम्य अने रुचिकर भाषामां बयान आ 'चाल'मां थयुं छे. अहीं 'आदिशगति-आद्यशक्ति'नो सौ प्रथमवार उल्लेख थयो छे. ४ वेदोनां पण नाम छे. आमां चार वेद तथा १४ पूर्व वच्चे समन्वय साधवानो प्रयास थयो होय एवो भास थाय छे. समग्र प्रतिपादन खरेखर खूब रसंप्रद छे. पांचमी 'पांचम'नी 'चाल'मां 'आदि शक्ति'नो उल्लेख तो छे ज, पण वधुमां 'केवल' (ज्ञान)ने 'जोगण' तरीके ओळखावीने तेने शासन ने मोक्षनी 'धणीयाणी' गणावी छे. वळी, यवननी न(य?)वन धणी, शैवनी शैवी, तेम जैनना साहिबनी जैनी शक्ति-एम पण लखे छे. वळी, इस्लाम तथा ईसाई लोको 'आदम अने हवां'ने बाबा-बीबीना आदि युगल तरीके माने छे ते वातने याद करीने वैदिकोना मते ते लक्ष्मी-नारायण, ब्रह्मा तथा ब्रह्माणी, शिव अने पार्वती, तेमज जैनमते ते जिनराज अने शासनदेवी-निर्वाणी एटले के केवलज्ञानरूप योगण छे - एवं पण प्रतिपादन कर्ताए अहीं कर्यु छे. अहीं कर्ताए 'निगम' शब्द वापर्यो छे. ते आगळ उपर १३मी तथा १५मी 'चाल'मां पण आवे छे. आगम-निगम के अगम-निगम' एवा प्रयोगोमां आवता 'निगम' शब्दना अर्थमां ज आ प्रयोग होवो जोईए. जो के जैनोना विविध गच्छोमां एक निगमगच्छ के निगममत पण हतो - १५-१६मा शतकमां. ते गच्छने मान्य निगम-शास्त्रो पण उपलब्ध (अप्रकट) छे ज. कर्ताना मनमां ते मान्यता होय अने ते सन्दर्भमां 'निगम'नो प्रयोग कर्यो होय, तो पण बनवाजोग छे. वस्तुतः तो आ समग्र रचनानी हाथपोथी- प्रथमवार अवलोकन करवानुं थयुं त्यारे प्रथम छाप 'निगममत'नी आ रचना छे - एवी ज ऊपसेली. पण ए तो मात्र अटकळ ज. निर्णय पर पहोंचवा माटे तो निगमोनुं अध्ययन करवू पडे.. ___पांचमी चालमां 'पंचम अंग' (भगवतीसूत्र नामे आगम)ने त्रणेक वार संभायुं छे. कडी ५मां 'आदिशगति'नो उल्लेख छे, तो 'अशूरां' (असुर) Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.520529
Book TitleAnusandhan 2004 08 SrNo 29
Original Sutra AuthorN/A
AuthorShilchandrasuri
PublisherKalikal Sarvagya Shri Hemchandracharya Navam Janmashatabdi Smruti Sanskar Shikshannidhi Ahmedabad
Publication Year2004
Total Pages110
LanguageSanskrit, Prakrit
ClassificationMagazine, India_Anusandhan, & India
File Size5 MB
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