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________________ August-2004 अलख नारायण, ब्रह्मा विष्णु महेश, अथरवण वेद, साम- जजुर - रघुवेद, पुरुषोत्तम, लक्ष्मीनारायण, ज्याग वगेरे. तो इस्लामी के अरबी शब्दप्रयोगो पण ओछा नथी : खलक, जिहांन, खामंद खावंद, खुदा, कुराण, कत्तेब, काफर, हरामी, हमद, केहर, मेहरी, हज्ज, खयर, बंदगी, दोजग, भिस्त, करामात वगेरे. कर्तानी दृष्टि तथा प्रयास समन्वयपरक छे ते वात बहु ज स्पष्टपणे जणाय छे. 25 प्रत्येक 'चाल' नुं अछडतुं अवलोकन करीए तो प्रारम्भिक ४ दोहरामां 'जैन'- अनुसारी मंगलाचरण होवा छतां, तेमां 'अल्लह'- अल्ला शब्दनी गुंथणी ध्यान खेंचे तेवी छे. प्रथम 'पडवा' नी 'चाल' मां संसारनी निःसारतानुं अद्भुत वर्णन छे, अने तेमां 'पडवा'नुं नहि तेवो उपदेश पण आपवामां आव्यो छे. 'पडवा' नो अर्थ 'पडवुं' एम करीने तेनाथी बचवानी शीख आपवामां कवि सुरेख चमत्कृति सर्जी शक्या छे. आ 'चाल' मां 'हंदो, कहंदा, भरंदा' ए बधा 'दा' वाळा प्रयोग खास ध्यानपात्र छे. बीजी 'बीज'नी 'चाल' मां पण 'लहंदा' वगेरे प्रयोगो थया छे ज, उपरांत तेमां 'आलमनाथ अमीणो सामी' ए प्रयोग विशेषे ध्यानार्ह छे. रचनाकार सम्भवत: 'चारण' कुलना होय अने चारणी बोलीना आ प्रयोगो तेमन्ने माटे सहजसाध्य होय तेवी कल्पना, आ अने आवा विविध प्रयोगो जोतां तथा बळकट छन्दमां थयेली बळूकी रजूआत जोतां, करवानुं मन थाय छे. त्रीजी 'त्रीज'नी 'चाल' मां आदिनारायणरूप ब्रह्मा-विष्णु-महेशने खलक (जगत्) ना रचनाकार (कर्ता) तरीके वर्णवीने तरत ज असुरपति खावंद खुदानां पण एवांज त्रण रूपो होवानुं तथा आसुरी आलमनो ते कर्ता होवानुं वर्णन करे छे; अने ते पछी तरत ज जैनना ईश्वर ते सृष्टिना कर्ता नथी, अर्थात्, जैनमते ईश्वर सृष्टिनो कर्ता नथी, तेवुं स्पष्ट प्रतिपादन कर्तुं छे. अने आ रीते निज - पर - शासननो भेद तेमणे यवनाधिप समक्ष स्पष्टतया वर्णवी बताव्यो छे. Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.520529
Book TitleAnusandhan 2004 08 SrNo 29
Original Sutra AuthorN/A
AuthorShilchandrasuri
PublisherKalikal Sarvagya Shri Hemchandracharya Navam Janmashatabdi Smruti Sanskar Shikshannidhi Ahmedabad
Publication Year2004
Total Pages110
LanguageSanskrit, Prakrit
ClassificationMagazine, India_Anusandhan, & India
File Size5 MB
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