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माहिती
नवां प्रकाशनो १. सुमइनाहचरियं कर्ता : श्रीसोमप्रभाचार्य. सं. डॉ. रमणीक शाह, प्रका. प्राकृत ग्रन्थ परिषद् (P.T.S.) अमदावाद, ई. २००४
'कुमारपालपडिबोहो' जेवी सुदीर्घ रचना अने 'सिन्दूरप्रकर' जेवी विविध काव्यरचनाओ वडे विद्वज्जगत्मां सुप्रसिद्ध श्रीसोमप्रभसूरिनी एक प्राकृत चम्पूकाव्यात्मक रचना आ ग्रन्थरूपे प्राप्त थाय छे, ते प्राकृतप्रेमीओ माटे उत्सवरूप घटना छे.
____ आ ग्रन्थनो गुजराती अनुवाद थोडांक वर्षो अगाउ थयो छे, जे प्रकाशित पण थयो छे. त्यार पछी घणा वखते मूळ रचना प्रकाशन पामी छे, ते नोंधq जोईए. . .
आवा ग्रन्थ, तज्ज्ञ विद्वानना हाथे सम्पादन थाय त्यारे सहज रीते ज शोधपूर्ण अने अध्ययनात्मक प्रस्तावना माटे तथा विविध रीते महत्त्वपूर्ण एवां परिशिष्टो माटे जिज्ञासा तथा अपेक्षा रहे. परन्तु ते बन्ने वाते अहीं मात्र निराशा सांपडे छे. वर्षो पर्यन्तनी व्यस्तताने कारणे ग्रन्थ- सम्पादन न थई शक्यं तेवी सम्पादकनी वात स्वीकारी लईए तो पण, ज्यारे मोडे मोडे पण प्रकाशन थतुं ज हतुं तो प्रस्तावना-परिशिष्टो मूकायां होत तो सम्पादकनी विद्वत्तानो तथा ग्रन्थनी विशिष्टताओनो आपणने घणो बधो लाभ मळ्यो होत तेम लागे छे.
२. हितोपदेश : 'हितोपदेशामृत' विवरण समेतः. कर्ता : आ. प्रभानन्दसूरि. विवरणकार : आ. परमानन्दसूरि. सं. आ. कीर्तियशसूरि. प्रका. : सन्मार्ग प्रकाशन, अमदावाद, ई. २००४
पोथीस्वरूपे प्रकाशित आ ग्रन्थ पुस्तकाकारे पण प्रसिद्ध थनार छे. विक्रमना १३-१४ मा शतकमां थयेला ग्रन्थकारे रचेल आ ग्रन्थ प्रायः प्रथमवार प्रकाशन पाम्यो छे. आ ग्रन्थमां अनेक उपयोगी टिप्पणो तथा जरूरी परिशिष्टो तैयार करनार साध्वी श्रीचन्दनबालाश्रीजीए आम करीने ग्रन्थनी उपयोगिता वधारी छे.
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