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अनुसंधान-२८
इम सुणी वसुदेवकुमार, कंस साथि लेइ परिवार सीमाहडउ साथइ चालीउ, राजगृह नयरी आवीउ ॥८२॥ जरासिंधनइ कीध प्रणाम, प्रतिवासुदेव बोलावइ ताम सीमाहडउ आणीउ कणइ, कंसतणउं बल वसुदेव भणइ ॥८३।। जरासिंध जव जाणिऊ वंश, तु पुत्री परणाविउ कंस . पिता वयरी तिणि मथुरापुरी, करमोचनि मागी वसि करी ॥८४॥
दूहा
कंस पितानइ पाछिलउं, वयर वालवा काजि जरासिंध बइसारीउ, मथुरानगरि राजि उग्रसेन कठपंजरइ, कंसइ घालिउ राय पूर्व नियाणउं जे कीउ, ते निष्फल किम थाइ ? ॥८५॥ धारणिमाता इम भणइ, तुझ पिता नहीं दोस। सघलां वानां मइ कीआं, तु मझनइ करि रोस ॥८६।। मातवचन मानइ हीइं, कंस पिता दुःख देइ । अइमत्तु हिव पिता दुखि, वइरागउ व्रत लेउ(इ) ॥८७।। चारित्र पालइ निरमलउं न्यान उपन्नउ सार तव संयम आराधउं, वसुहा करइ विहार ॥८८।। कटकसहित हिव आविउ, सोरिपुरि वसुदेव राजरिद्धि लीलां करइ, जिम दोगंदुक देव ॥८९॥
वस्तु मगधदेसह मगधदेसह तणउ भूपाल, जरासिंधु आदेशथी कंस सहित वसुदेवकुमरि, सीमाहडउ बांधी बिन्ह ते पहूत
राजगृह नयरि, जीवजस्या परणी करी, कंस करइ निय काज पिता वयरी मागी लिउ, मथुरानगरी राज ॥९०॥
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