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________________ निवेदन मनुष्य, स्वभावतः, 'वीर' पूजक - व्यक्तिपूजक छे. तेनी नजरमां कोईनी कोई खास विशिष्टता के विशेष गुण वसी जाय, एटले ते तेनी पूजा करतो थई जाय छे. पछी ते व्यक्ति विषे कोई खराब के नबळी वात करे तो ते वीरपूजक मनुष्य अने मानवसमाजनुं हृदय दुभाय छे, अने ते दुःखने अभिव्यक्त करवा माटे ते, क्यारेक, निम्न स्तरनां कही शकाय अथवा तद्दन अनुचित गणाय, तेवा उपायो अजमावतां अचकातो नथी. जो के आवुं करवाथी ते समाजने / मनुष्यने पहोंचेलुं दुःख केवी रीते मटतुं हशे ते शोधनो विषय छे, परन्तु तेना ते अनुचित कामनां कटु फल समग्र जगत्ने तथा सुज्ञ जनोने ज भोगववां पडतां होय छे, ते हकीकत छे. भाण्डारकर प्रतिष्ठान - पूनानी दुर्घटना ए आ बाबतनो ताजो दाखलो छे. आ घटनाथी, भारतमां लोकशिक्षण के लोकघडतरना क्षेत्रे केटली त्रुटि के पछी अभाव छे, ते पण स्पष्ट थाय छे. शिक्षण एटले अक्षरज्ञान अने डिग्रीनी प्राप्ति एवो अर्थ आजे चलणी तथा सर्वमान्य थयो छे. 'घडतर 'ना तत्त्वनो आमां क्यांय समावेश नथी. फलतः नोकरीलक्षी मानस अने गुलामीमां राचनारुं मानस ज नीपजतुं रहे छे. शिक्षित नोकरी ज झंखे ! शिक्षण मळ्या छतां गोरी चामडीने जोईने पाणी पाणी थई जाय ! खरेखर तो शिक्षण एटले अक्षरज्ञान तो खरुंज, पण तेथी आगळ वधीने जीवनलक्षी नैतिक मूल्योनुं ज्ञान तथा ते मूल्योनुं जतन करवा जेटली समज अने जवाबदारी - ए होय. आवो शिक्षित जन, व्यर्थ अहंभाव तथा मिथ्या अहोभावथी दूर रहे, अने मतभेदनो के अणगमतो प्रसंग आवे त्यारे पण, तेनुं वर्तन, विरोध व्यक्त करवा छतां, अनुचित के हानिकर गणाय तेवी चेष्टाथी अलिप्त ज रहे. आ प्रकारना लोकशिक्षणनो व्याप, स्वतन्त्र भारतमां, विकसावी शकायो नथी, एनो ख्याल पूनानी दुर्घटना थकी, मळी रहे छे. ★ ‘Deccan Herald’ नामना अंग्रेजी दैनिक वृत्तपत्रना ता. १-२-०४ना अंकमां K.R.N.Swamy नामना लेखकनो एक लेख, पूनानी दुर्घटनाना सन्दर्भमां, प्रकाशित छे, जेनी Head line छे : Thank God it is not in India ! अर्थात् प्रभुनो पा'ड मानो के आ (British library of Indology, U.K.) Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.520527
Book TitleAnusandhan 2004 03 SrNo 27
Original Sutra AuthorN/A
AuthorShilchandrasuri
PublisherKalikal Sarvagya Shri Hemchandracharya Navam Janmashatabdi Smruti Sanskar Shikshannidhi Ahmedabad
Publication Year2004
Total Pages114
LanguageSanskrit, Prakrit
ClassificationMagazine, India_Anusandhan, & India
File Size6 MB
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