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अनुसंधान-२४ ___ ढाल कडखानी ॥ असाउरी ॥ सखी देखीइ जैन सुलतान आयु, भविकजन कोडि आनंद पायु मुनिपती नरपती गुणीअ सुंदरमती, त्रिभोवनि हीरजी हर्षे गा[यु] ॥स० १॥ गाजता गयवरा हींसता रयवरा, नरवरा सुरवरा खेचरा सोहइ । पालखी डोल चकडोल सुखआसनां -सनांरूप थई जगत्र मोहइ ॥२॥ शाह अकबर सबरसेन स्युं सामही याउ कहि पुत्र वड शाह काजे । -करीअ तसलीम सेपूजी गुर लेनकुं, आवहि साइ(ह) चक्रवर्ति दिवाजइ ॥३|| . बहुल नीसाणकी वाणि घूम्मइ सही, गहगही सपत वाजित्र वाजइ । व्यवध नफेरीआं मदन वड भेरीआं, नेरीआं शब्द असमान गाजइ ॥४॥ ताल कंसाल रणकाल(र?) मन मोहतां, राग के अंग मीरदंग जोडी । याचका व्यवध गुणगंज मन रंजस्यु, भणइ सो यूथ मिलि लक्ष कोडी ॥५॥ छत्रचामर झगइ पानसोविन भगि, लगि असमान झंडाल नेजा । कामिनी सीस लीइ कलश सोविनतणा, झलहलि सोइ त्रिभुवन्न तेजा ॥६॥ धरणितल-फ(पु?)शंकला(ल)नेउर जरजरी, रेसमा हुर भाती विछायु । क्हत शंकर सदा कोडि मंगल मुदा, धर्मदा हीरसूरिंद पायु ।।७।।
ढाल ४ | राग गुडी ॥ दूहा ॥ शुभदिन जाई गच्छपती, श्रीअकबर प्रति धर्म । आसीसा देई वदइ, पूछइ बहुला मर्म ॥१॥ गौड चौड कर्णाटना, कासमीर ग्वालेर । वादी पुर पइठाणना, गूजरउर आसे(र) ॥२॥ इम वादी विकट गोरख वडा मुकंद (?) व्यवध वाद जीतइ व्यकट शांतिचंद भाणचंद ॥३॥ सरसंधी को न - सकइ, मोड्या मान मरट्ट । वाचक ..... विबुधस्यूं, हीर लहि जयवट्ट ॥४॥
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