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अनुसंधान-२४
धिन विमलाचल रूखडी रे धिन ते सरस मोरो रे रात दिवस तुम्ह देखही रे
लेखइ सोरासोरो रे ॥ ढाल १३/७।। लगभग समकालीन के पछी थोडा थोडा समयगाळे थयेला भक्तकविओनी कल्पना तेमज रचनामां केवी समानता अनुभवाय छे ! आमां समयसुन्दरजी उपर तो परमानन्ददासनी छाप होवानुं स्पष्टतया वरताय छे. पण ऋषभदास पर तेमनी छाप-छाया नथी तेम मानवं वधारे सुसंगत लागे छे. ऋषभदास सामे मंत्री वस्तुपाल (१३मो शतक) कृत आ श्लोक हतो, अने तेमां वर्णित कल्पना तेमणे पोताना पदमां उछेरी होय, तेम वधु उचित जणाय छे :
"त्वत्प्रासादकृते नीडे वसन् श्रृण्वन् गुणांस्तव । सङ्घदर्शनतुष्टात्मा भूयासं विहगोऽप्यहम् ॥"
(प्रबन्धकोशे पृ. ११६, वस्तुपालप्रबन्ध)
-शी.
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