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January-2003
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मालूम पड्या छे, संभव छे के ते वाचनदोष के पछी मुद्रणदोष पण होय. दा.त. पृ. ४९ पर “आज्ञाऽपायश्च" पद छे, त्यां "आज्ञा ह्यपायश्च" के "आज्ञा त्वपायश्च" एम होय तो छंदोमेळ सचवाय छे. पृ. ७० पर "यद्विभ्रमां "... "रजः स्वभावां" एम छे त्यां घणा भागे "यद्विभ्रमान्" ...... "रजः स्वभावान्" एम होवू जोईए. प्रकाशन खूब उपयोगी. (४) जैन दर्शनमां नय : डॉ. जितेन्द्र बी. शाह. प्रकाशक : भो.जे.
विद्याभवन, अमदावाद, ई. २००२
शेठ पो.हे. अध्यात्म व्याख्यानमालामां अपायेला त्रण व्याख्यानोनो संग्रह धरावतुं पुस्तक, नयना जिज्ञासुओ माटे उपयोगी थई पडे तेवू छे. भाषा गुजराती. (4) Dr. Harivallabh Bhayani : A man of Letters
by Mahesh Dave - Ramesh Oza, Image Publications Pvt. Ltd. Mumbai, Ahmedabad. 2002 A.D.
सद्गत डॉ. हरिवल्लभ भायाणीना, विदेशी संशोधक विद्वानो साथेना संशोधनपरक पत्रव्यवहारनो अंग्रेजी ग्रन्थ. विद्याप्रेमीओने संशोधनक्षेत्रनी अवनवीन जाणकारी आपतो आ ग्रंथ पठनीय तो खरो ज, पण मुद्रणकलानी दृष्टिए पण उत्तम प्रकाशन होवानी भात पाडी जतो पण ओ ग्रन्थ छे. (६) सेतुबंध :
हरिवल्लभ भायाणी अने मकरन्द दवे वच्चे थयेल पत्रव्यवहारनो ग्रन्थ. सं. विजयशीलचन्द्रसूरि. प्रकाशक : श्री हेमचन्द्राचार्य ट्रस्ट, अमदावाद, ई. २००२. मुख्य विक्रेता : नवभारत साहित्य मन्दिर, गांधी रोड, अमदावाद१, तथा प्रिन्सेस स्ट्रीट, मुंबई-२. (७) आचाराङ्ग सूत्र : अक्षरगमनिका(संस्कृत)युक्तम् १-२. गमनिकाकर्ता :
आ. कुलचन्द्रसूरि, प्राप्तिस्थान : दिव्यदर्शन ट्रस्ट, धोलका, ई. २००२.
आचारांगना मूल प्राकृत सूत्रपाठनी संस्कृत छाया जेवो शब्दार्थ आपती गमनिका, अध्येताओ माटे उपयोगी.
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