SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 40
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ 34 अनुसंधान-२२ राखवानी सूचना छे. तेने निरवद्य-निर्जीव जमीन पर परठवाय; त्यां कुंथवा जेवी जीवात उत्पन्न न थाय तेनी तथा वरसाद पडे तो फूग न वळे तेनी दरकार राखे; गमे तेम नाखे तो पाप लागे; ते पदार्थोने ओळंगाय नहि; आ बधी वातो विवेकी माटे खूब प्रेरणादायी छे. नव अंगोना क्रममां भाल, कंठ, हृदय, उदर- आ अंगोनो समावेश नथी. ते, कारण, अहीं बे पगने बे अंग, बे जानु, हाथ, खभाने पण २-२ अंग गणेल छे, ज्यारे अन्यत्र बे पग, जानु, हाथ, खभाने १-१ (संयुक्त) अंग गणेल होय छे, ते होवू जोईए.. १०. फूल पूजा पण सृष्टिक्रमे ज करवानो विधि नोंधपात्र छे; मन फांवे तेम गमे ते अंगे फूल. गोठववानां नथी. उपरांत, फूल केवां लेवां ने केवी रीते, ते अंगेना सूचन पण ध्यानार्ह छे. आ वातो आजे कोण स्वीकारे समजे छे ? . ११. पहेलेथी कोईए पूजा करी लीधी होय तो ते दूर करवी अने आपणे नवेसरथी पूजा करवी, ते बाबतनो अहीं स्पष्ट निषेध थयो छे. घणाने ८ प्रकारी पूजानो नियम होय छे, तेओ पूर्वकृत पूजाने रद्द करी फरी बधुं करवाना जड आग्रही होय छे, तेमणे आ विवेक समजवा योग्य छे. पूजा करतां प्रतिमाना मुख पर सुखडनुं विलेपन करवानी मनाई पण फरमावाई छे. १२. अग्रपूजामां कयो पदार्थ भगवाननी कई बाजुए मुकवो तेनो विधि खूब महत्त्वपूर्ण छे. दीवो जमणे, धूप डाबे, अने नैवेद्य-फल-जलपात्र सन्मुख प्रतिमानी बराबर सामे धरवानुं विधान अहीं छे. साथियो-सिद्धशिलानुं विधान नथी; फक्त अक्षतनी ३ ढगलीओ ज करवानुं विधान छे; अने छेक छेवटे (अष्ट) मंगल चोखा वडे आलेखवानुं विधान छे. आजे केटलाक लोको अष्टद्रव्यपूजा पछी मात्र मंगलदीवो करे छे, आरतीनो निषेध करे छे. पण आ विधिमां आरती तथा मंगल दीवो बन्ने करवानुं स्पष्ट सूचन छे. १३. फलपूजा तो थईज छे, छतां छेवटे नाळियेर धरवानुं पण विधान छे. चंदनना थापा देवानुं पण विधान छे. वधुमां, देरासरमां पोते रह्यो, बेठो, Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.520522
Book TitleAnusandhan 2003 01 SrNo 22
Original Sutra AuthorN/A
AuthorShilchandrasuri
PublisherKalikal Sarvagya Shri Hemchandracharya Navam Janmashatabdi Smruti Sanskar Shikshannidhi Ahmedabad
Publication Year2003
Total Pages78
LanguageSanskrit, Prakrit
ClassificationMagazine, India_Anusandhan, & India
File Size5 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy