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________________ सरस्वती स्तोत्र . कर्ता : श्रीदयासूरि (?) सं साध्वी दीप्तिप्रज्ञाश्री डभोईना ज्ञानभंडारनी ज क. ५३३-४४०७नी एक पानानी प्रतनी नकलना आधारे संपादन करीने आ सरस्वतीदेवी, स्तोत्र अहीं आप्युं छे. स्तोत्रनो प्रारंभिक श्लोक जोतां कृति कोई अजैन कविनी लागे. अष्टकनी दरेक कडीनी चोथी पंक्तिमां 'जय जय भवानी' एम छे, ते पण एवं ज सूचवी जाय छे. परंतु छेल्ली कडीमां 'दयासूरिदेवी' एवो उल्लेख छे ते 'दयासूरि' नामंना कोई जैन मुनिराजनी आ रचना होवानुं मानवा प्रेरे छे. 'दयासूरि' नाम जैन मुनिराजनुं होवा विषे तो बे मत नथी ज. वळी तपगच्छना श्रीपूज्योनी परंपरामां से नामना एक श्रीपूज्य-आचार्यजी थया पण छे ज. मने जाणवा मळ्युं ते प्रमाणे श्रीपूज्य आचार्यने चारण-कविओ साथे विशेष संपर्को रहेता हशे, अने तेथी चंद बारोटना प्रसिद्ध 'भवानी छंद' जेवी रचनाओथी प्रेराईने तेमणे आ प्रकारनी एटले के चारणी कविताना प्रकारनी आ रचना करी हशे, एम बनवा जोग छे. आ स्तोत्र पण 'त्रिभंगी' अथवा 'गजगति' छंदमां छे तेवू पण जाणवा मळ्युं छे. समग्रपणे स्तोत्रनुं अवलोकन करतां, सरस्वती माताना 'शक्ति' स्वरूपनी स्तुति थई छे, तेवं सहेजे जणाई जाय छे. (मध्यकालीन) गुजराती साहित्य कोश'मां १९मा सैकामां 'दयासूर' थयानो तथा तेमणे सरस्वती-छंदनी रचना करी छे तेवो उल्लेख (पृ. १६८) छे, ते आ ज हशे. श्री शारदाय नमः ॥ विजया शांतिकरा देवी निर्मलमतप्रकासनि वीर्यबिंदू करे शंभू जया प्रिया नमोस्तु ते ॥१॥ Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.520521
Book TitleAnusandhan 2002 09 SrNo 21
Original Sutra AuthorN/A
AuthorShilchandrasuri
PublisherKalikal Sarvagya Shri Hemchandracharya Navam Janmashatabdi Smruti Sanskar Shikshannidhi Ahmedabad
Publication Year2002
Total Pages74
LanguageSanskrit, Prakrit
ClassificationMagazine, India_Anusandhan, & India
File Size4 MB
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