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________________ प्रकाशन - माहिती ( १ ) आचार्य भद्रबाहु कृत आवश्यक निर्युक्ति (खण्ड १ ) सं. डॉ. समणी कुसुमप्रज्ञा प्र. जैन विश्वभारती संस्थान, लाडनूं - ३४१३०६ ( राजस्थान ) ई. २००१ प्रसिद्ध आगम ग्रंथ 'आवश्यक सूत्र' परनी निर्युक्तिना पाठनुं निर्धारण अने संपादन, आ ग्रंथमां संपादिकाए आपेल छे. भाष्य अने निर्युक्तिनी गाथाओ एकमेक साथे एवी तो जोडाई गयेली छे के आ गाथा भाष्यनी छे के निर्युक्तिनी ते कळवु घणीवार मुश्केल थई पडे. तेनो विवेक करी आपवानो प्रयास संपादिका द्वारा आ पुस्तकमां थयो छे. टिप्पणो तथा परिशिष्टोथी ग्रंथ विशेष समृद्ध तेमज उपादेय बनी गयो छे. (२) भगवतीचूर्णि सं. रूपेन्द्रकुमार पगारिया प्र. ला. द. भा. सं. विद्यामन्दिर, नवरंगपुरा, अमदावाद - ३८०००९ ई.स. २००२ मूळे विस्तृत, पण त्रुटितस्वरूपे उपलब्ध, श्रीभगवती-विवाहपन्नत्ती सूत्र परनी अज्ञातकर्तृक चूर्णिनुं आ संपादन- प्रकाशन प्रथमवार ज थयुं छे. पहेलां ४ शतकनी चूर्णि अनुपलब्ध होई पांचमा शतकथी तेनो प्रारंभ थयो छे. वृत्तिकार श्रीअभयदेवसूरिजीए पोतानी व्याख्यामां अनेकत्र निर्देश करेल चूर्णि ते आ चूर्णि छे, एम संपादके नोंध्युं छे. चूर्णि एटले मूळ ग्रंथ के आगमनी प्राकृत (केटलेक अंशे संस्कृतमिश्र) व्याख्या. Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.520520
Book TitleAnusandhan 2002 07 SrNo 20
Original Sutra AuthorN/A
AuthorShilchandrasuri
PublisherKalikal Sarvagya Shri Hemchandracharya Navam Janmashatabdi Smruti Sanskar Shikshannidhi Ahmedabad
Publication Year2002
Total Pages122
LanguageSanskrit, Prakrit
ClassificationMagazine, India_Anusandhan, & India
File Size6 MB
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