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________________ श्री गौतम - सुधर्म गणधर भास लींबडी ज्ञानभंडारनी हस्तप्रत नं. ३२३ नी एक पानानी प्रत उपरथी आ बन्ने भास लख्या छे. सं. मुनि जिनसेनविजयजी रचयितानुं नाम देखातुं नथी पण रचना घणीज भाववाही छे. प्रतनी परिस्थिति मुजब आशरे सत्तरमा सैकानी गणी शकाय आ पानामां लखनारे पहेलां श्री सुधर्म गणधरनो भास अने पछीथी श्री गौतमगणधरनो भास आ रीते लख्या छे माटे क्रम ते मुजब राख्यो छे. आ छे लालनी देशी ॥ ज्ञानादिक गुणखाणि राजगृही उद्यान गणधरलाल सोहमस्वामी समोसर्याजी ॥१॥ कंचन गौर शरीर वाणी गंगानीर ग० त्रिहुं पंथे पसरै सदाजी ॥२॥ अंग ११ उपांगह १२ बार दसविध रुचिनो धार ग० दुगविध शिक्षा उपदिशैजी ॥३॥ तेर क्रिया १३ व्रत बार १२ गिहि पडिमा अगियार ११ ग० श्रावकगुण २१ भेद सिद्धना १५जी ॥४॥ वैयावच १० कल्प १० धरै दसविध १० छ अकल्प ६ ग० वंदनदोष ३२ विगथा ४ तजै जी ॥५॥ कुंकुम रोल कचोल गुंहली रंगमरोल ग० Jain Education International अक्षत श्री फल उपरैजी ॥६॥ मगधाधिपनी नारि सोल सजी सिणगार ग० लळिलळि करती लुंछणाजी ॥७॥ For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.520519
Book TitleAnusandhan 2002 03 SrNo 19
Original Sutra AuthorN/A
AuthorShilchandrasuri
PublisherKalikal Sarvagya Shri Hemchandracharya Navam Janmashatabdi Smruti Sanskar Shikshannidhi Ahmedabad
Publication Year2002
Total Pages170
LanguageSanskrit, Prakrit
ClassificationMagazine, India_Anusandhan, & India
File Size6 MB
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