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________________ 280 त्यार पछी डों. कान्तिभाई बी. शाहे 'आनंदघनजीनी प्रभावकता : अनुकालीन साधु कविओ परत्वे' ए विषय उपर पोतानो लेख प्रस्तुत कर्यो हतो, जेमां उपा. श्री यशोविजयजी, श्रीज्ञानविमलसूरि, देवचंद्रजी म., चिदानंदजी व. महापुरुषोमां आनंदघनजीनो अध्यात्म वारसो कई रीते अने केवा स्वरूपे झीलायो तेनी विस्तृत चर्चा हती. त्यार बाद डॉ. भोपालसिंह राठोडे 'आनंदघनजीनां पदोमां रहस्यतत्त्व' ए विषय लईने हिन्दी भाषामा पोताना विचारो स्पष्ट कर्या हता अने रहस्यवादनी परंपराना पथिक पण आनंदघनजी हता ते वात उपर भार आप्यो हतो. बपोरना चोथा सत्रमां डॉ. नगीनभाई जे. शाह अध्यक्ष स्थाने रह्या हता. आ सत्रमां 'आनंदघनजीनां पदोमां प्रेमलक्षणा' ए विषय उपर डॉ. मीनलबेन दवेए पोताना विचारो दर्शाव्या हता अने आनंदघनजी जेवा साधु पुरुषमां देखाती आवी उत्कटता ए केवळ मानवीय न होई परमतत्त्व प्रत्येना पारमार्थिक अने आध्यात्मिक अनुरागनी ज नीपज हती तेम स्पष्ट कर्तुं हतुं. पछी डॉ. कळाबेन शाहे 'अवधू आनंदघनजीनी चोवीशीमां काव्यत्व' ए विषय उपर पोतानी विचारणाने खूब ज विस्तारपूर्वक अने छणावटपूर्वक रजू करी हती. तेमणे कह्युं हतुं के 'शब्दालंकारनी दृष्टिए तेमनी तत्त्वगर्भित रचनाओ कवित्वनां उच्च शिखर सर करे छे. आ अंतिम सत्रमां गुजरातना मूर्धन्य कविओमां जेमनी गणना थाय छे तेवा श्री राजेन्द्र शुक्लनुं काव्य पठन तथा डॉ. निरंजन राज्यगुरु द्वारा पदगान पण करवामां आव्युं हतुं. संगोष्ठीनुं समापन प्रवचन पू. आचार्य श्री विजयशीलचन्द्रसूरिजी म. ओ कर्यु. तेमणे, आनंदघनजीनी रचनाओना माध्यमथी प्रगट थती तेमनी दार्शनिकचिंतन- आध्यात्मिक- भक्ति रूप विकास पामती भूमिका वर्णवी हती अने अत्रे रजू थयेला शोधपत्रोना स्तर परत्वे संतोष व्यक्त कर्यो हतो अने आ समग्र उपक्रम आनंदघनजीने सर्वांगसंपूर्ण पामवानुं प्रथम कदम बनी रहेशे तेवी शुभ अभिलाषा व्यक्त करी हती. पछी सेवंतीलाल ए. महेताए आभार प्रवचन कर्तुं हतुं. Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.520518
Book TitleAnusandhan 2001 00 SrNo 18
Original Sutra AuthorN/A
AuthorShilchandrasuri
PublisherKalikal Sarvagya Shri Hemchandracharya Navam Janmashatabdi Smruti Sanskar Shikshannidhi Ahmedabad
Publication Year2001
Total Pages292
LanguageSanskrit, Prakrit
ClassificationMagazine, India_Anusandhan, & India
File Size15 MB
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