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________________ 279 दार्शनिक अभिगमथी पण पर जे एमनी आध्यात्मिक चेतना छे तेने पामवा माटे आ संगोष्ठी अंतरदृष्टिना उघाड समी बनी रहेवी जोईए." आ संगोष्ठीना केन्द्रीय वक्तव्यमां डॉ. रमणलाल ची.शाहे आनंदघनजीना समयनी राजकीय परिस्थितिनुं वर्णन कर्यु अने तेमनां पदो अने स्तवनोमां आवता अरबी अने फारसी शब्दो ए तेमनी भाषामां झीलायेला मुस्लिम संस्कारोनुं परिणाम छे एम कडं. 'राम कहो रहमान कहो' ए पद टांकता तेमणे कह्यु के- "जीव ज्यारे उच्च भूमिकाए पहोंचे त्यारे सांप्रदायिक भेदोथी पर बनी जाय छे. आनंदघनजीना पदो व.मां कविता तथा तत्त्वज्ञान बन्ने जोवा मळे छे ते तेमनी कवित्व प्रज्ञा अने यौगिक प्रज्ञानी ऊंचाई देखाडे छे." बपोरे संगोष्ठीना बीजा सत्रनो प्रारंभ थयो. तेना अग्रिम अतिथि हता. डॉ. रमणलाल ची. शाह. आ सत्रमा डॉ. दलपत पढियारे 'आनंदघनजी अने संतपरंपरा' विषय उपर, डॉ. नरोत्तम पलाणे 'नाथ परंपरा अने आनंदघनजी' विषय उपर आपेला पोताना वक्तव्योमां मध्यकाळनी ते-ते परंपराओ अने आनंदघनजीना अध्यात्म साम्यने रजू कर्यु हतुं. डॉ. बळवंत जानीए ‘मध्यकाळनी साधना परंपरा' विशे वक्तव्य आप्युं हतुं अने डॉ. कुमारपाळ देसाईए 'आनंदघनजी अने यशोविजयजी : अष्टपदीना संदर्भे' ए विषय उपर प्रकाश पाथर्यो हतो. बीजा दिवसे सवारे ९ कलाके संगोष्ठीना त्रीजा सत्रनो प्रारंभ डॉ. मधुसूदन ढांकीनी अध्यक्षतामां थयो. तेमां, । _ डॉ. नगीनभाई जे. शाहे पोताना वक्तव्यमां दार्शनिक परिप्रेक्ष्यमां आनंदघनजीनां पदो - स्तवनोमां रहेली दार्शनिक चेतना अने विशाळ-व्यापक विचारधाराने उघाड आप्यो हतो. तेमना स्तवननी एक कडी लईने छए दर्शनोनी विचारधारानो समन्वय करीने ज्ञानोपयोग-दर्शनोपयोग अने तेना क्रम विशे सुंदर चिंतन प्रदान कर्यु हतुं. डॉ. नाथालाल गोहिले 'आनंदघनजी अने कबीर' ए विषय उपरना पोताना लेख द्वारा आनंदघनजी साथे जोडायेल अवधू शब्द अने कबीर साथे जोडायेल संत शब्दना तात्त्विक मर्म अर्थने प्रगट को हतो. अने बन्नेनी वाणीमां आवता नामस्मरण, गुरुमहिमा व. समान भावोनो सविस्तर उल्लेख कर्यो हतो. Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.520518
Book TitleAnusandhan 2001 00 SrNo 18
Original Sutra AuthorN/A
AuthorShilchandrasuri
PublisherKalikal Sarvagya Shri Hemchandracharya Navam Janmashatabdi Smruti Sanskar Shikshannidhi Ahmedabad
Publication Year2001
Total Pages292
LanguageSanskrit, Prakrit
ClassificationMagazine, India_Anusandhan, & India
File Size15 MB
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