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________________ 215 संगीतनो पण एटलो ज शोख, एटली ज रुचि अने ज्ञान. सौराष्ट्रना शहेरोमां भावनगरने विशेष संस्कार छे ते शास्त्रीय संगीतना. शामळदासमां भणेला साक्षरोमां ज में शास्त्रीय संगीतनां प्रेम अने ज्ञान जोयां छे. सित्तेरना गाळामां अमदावादनी कुमारक्लब जेवी शास्त्रीय संगीतना गुणीजनोनी संस्था. एमां संख्या आजना मुकाबले ओछी, परंतु बधा ज ऊंडी साची परखवाळा. ए बेठको भायाणीसाहेब साथे माणी छे. किशोरी अमोणकरनी सवारनी बेठक साथे माणेली. अमीरखां साहेबने टागोर होलमां सांभळवा गयेला. अद्भुत कलाकार स्वरने श्रुतिने एक स्थाने स्थिर करी दे. दरबारी के मालकौंस गाय तो चेतनाने महाचेतना साथे ज सीधुं सद्य अनुसंधान थाय. मेघ गाय तो भर उनाळे वर्षाऋतुमां महालो. एमां न होय ताननी पटाबाजी, धमधमाटी के बीजी कारीगरी हैयुं अनुभवे ने सौन्दर्यनी उपज तरती जाय ने रसमहालय रचती जाय. सितार जेवा वाद्यनी द्रुत गतो आस्वादवा टेवायेलो वर्ग आथी अमीरखां साहेबने आस्वादी न शके एटले पहेले ज विरामे पोणा भागना श्रोतानुं गृहप्रयाण थयुं. पच्चीस टका बच्या तेने नजीक बोलाव्या ने मालकौंस जाम्यो. भायाणीसाहेब धीमेथी कहे : 'अमीरखां साहेब सारेगम बोलता हता एटले लोकोने थयुं के संगीत भणाववा आव्या छे, ए भणी लीधुं ने वर्ग पूरो थयो मानी घरभेगा थया !' भायाणीसाहेब घरे पण बेठक गोठवे मित्रोनी. डॉ. नारायण कंसारा गाय अने तबला पण वगाडे. एमणे 'जोगी मत जा !' गायुं ने अने छेल्ले तिहाई मारी तो भावाणीसाहेब कहे : 'ले, आ सांभळीने तो जोगीने रोकावुं होय तोय चाल्यो जाय !' अंते १९७३मां मारी बदली डी.के.वी. कॉलेज जामनगरमां थई ज थई. परंतु मारो गुरुप्राप्ति योग प्रबळ जामनगरमा प्रज्ञाचक्षु, उत्तम दिलरुबावादक श्री प्रवीणसिंह जाडेजानो लाभ मळ्यो. मनना बधा ज बंध दरवाजा खूली गया. एटली अंडी सूक्ष्म समज के शास्त्रीय रागसंगीतना प्राणनी परख मळे. डो. भायाणी पण चाहक, ज्ञाता ज नहीं, एमणे पोते पण दिलरुबा पर हाथ अजमावेलो. एथी व्याख्यान निमित्ते जामनगर बोलाव्या. आव्या चंद्रकळाबहेन साथे घरमा बीजा साहित्यकारो के अध्यापको आवे Jain Education International • For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.520518
Book TitleAnusandhan 2001 00 SrNo 18
Original Sutra AuthorN/A
AuthorShilchandrasuri
PublisherKalikal Sarvagya Shri Hemchandracharya Navam Janmashatabdi Smruti Sanskar Shikshannidhi Ahmedabad
Publication Year2001
Total Pages292
LanguageSanskrit, Prakrit
ClassificationMagazine, India_Anusandhan, & India
File Size15 MB
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