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________________ 216 त्यारे घरना बहारना जेवा बनी जाय ने कंटाळे. परंतु भायाणीदादानी वात जुदी. सहुने खूब आनंद थाय. क्यारेय फोन आवे तो मने कहे : 'हसुबेनने आपो.' ने एमने ऊकरडी विशे, कोई लग्नगीत के रांदलगीतना ढाळ विशे के कडी विशे पूछवानुं होय ! जामनगर आव्या के मारां संतानो युवा अने नयन नानां. एमने कहे चालो नवो चानो पाडो शीखवू : चा एकु चा चा दुपारी चा तेरी ओर मजा चा चोका ते रंग लागे चा पंचा ते जामती जाय ! हाईलेन्ड पार्कमां आवतां घणा साक्षरोए बाळको साथे किल्लोल करतां साक्षर भायाणीने जोया छे, आश्चर्यथी. पण ए एमनो हृदयनो मूळ रंग. माणसवला. घर, कुटुंब शुं छे तेनी पाकी समज ने स्नेह लेवा-आपवानी साहजिकता. नवनिर्माणY आंदोलन थयुं ने कोलेज बंध पडी. मने तो चौद-पंदर कलाक एक आसने काम करवानी अनुकूळता थई. बे ज काम, लखवू ने एथी थाक्ये वगाडवू. एमां ज फोर्वर्डबेन्डिगनी पोस्चरथी मणकानी गादी छटकी ! करावq पड्युं ऑपरेशन अने त्रण मास चत्तापाट सूई रहेवानी आसनकेदनी सजा ! भायाणीसाहेब मारी प्रकृति जाणे. पथारीमां नवरो पड्यो नहीं रही शकुं. एमणे डॉ. रमणलाल जोशीने वात करी ने मारे 'शामळ' परनी लघुपुस्तिका लखवानी आवी. ए काम पण गुरुकृपाए थयु.. काळांतरे भाषानियामकनी जग्या माटे पब्लीक सर्विस कमिशनना श्रीदलपतभाई मुनीमे सरकारने कर्वा के आ जग्या माटे हसुभाई सक्षम एवा अध्यापक छे. बीजी बाजु १९८२मां गुजरात राज्यनी अकादमीनी स्थापना थई अने श्रीमोहम्मद मांकड एना प्रथम प्रमुख बन्या. ए समयना मुख्यमंत्रीना सचिवश्री कुलीनचंद्र याज्ञिके मने बोलावीने कह्यु : 'लो हसुभाई, हवे तो बे लाडवा छे, एक भाषानियामक तरीके आववानो अने बीजो अकादमीना महामात्र तरीके आववानो. तमारे क्यो खावो छे ?' में कह्यु : 'तमने योग्य Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.520518
Book TitleAnusandhan 2001 00 SrNo 18
Original Sutra AuthorN/A
AuthorShilchandrasuri
PublisherKalikal Sarvagya Shri Hemchandracharya Navam Janmashatabdi Smruti Sanskar Shikshannidhi Ahmedabad
Publication Year2001
Total Pages292
LanguageSanskrit, Prakrit
ClassificationMagazine, India_Anusandhan, & India
File Size15 MB
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