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अनुसंधान-१६. 223
वचन निकलता था ।
जब सकार का उच्चारण करते थे तब सर्वज्ञज्ञान का पूर्णरूप से सम्यक बोध करो, प्राप्त करो, ऐसा वचन निकलता था ।
जब हकार का उच्चारण करते थे तब क्लेश और विशेष राग का नाश करो, ऐसा वचन निकलता था ।
जब क्षकार का उच्चारण करते थे तब क्षणपर्यन्त (क्षणिक) और अभिलाप्य (वाच्य) है सर्व धर्म, ऐसा वचन निकलता था ।
इस तरह भिक्षुओं बालकों को मातृका का पठन करने का सिखाते थे तब बोधिसत्त्व के प्रभाव से असंख्य या तो लाखों धर्मतत्त्व के शब्द निकलते थे। ऐसे जब बोधिसत्त्व लिपिशाला में थे तब बत्तीस हजार बालक परिपक्व हो गए।
इस तरह बत्तीस हजार बालकों के चित्त में सर्वोत्तम सम्यक् सम्बोधि का ज्ञान उत्पन्न किया । इस कारण से और इस उद्देश्य से बोधिसत्त्व शिक्षित होने पर भी लिपिशाला में गए ।
(कुछ कठिन परिभाषिक शब्दों के अर्थ करने के लिये डॉ. नगीनभाई शाहने सहाय दी है। इसके लिये मैं उनकी आभारी हूँ।)
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