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________________ अनुसंधान-१५ • 91 मंगलपुर मंडन श्रीनवपल्लवपार्श्वनाथ गीत गीत ॥ रागः भयरव ॥ पूजउ पासजिनेसर देव नवपल्लव नित करीइ सेव नदीअ निवाण समुंद्र सवि नीर, न्हवण करु नवपल्लव सरीर १ पू० दीप सवे चंगेरी करी अढार भाव(र) वनफूलि भरी तरुवर जाति जगतमाहि जेह बावनचंदन कीजइ तेह २ पू० सुरगिरि शैल अवर सम रूप अगर कपूर कस्तूरी धूप कोडि इंद्र मिली पूजइ सार, तुहि भगति अणुआइ लगार ३ पू० मंगलपुरमंडन जिन पास नवपल्लव नित नमु उल्लास भावसहीत जे पूजा करइ बिनयचंद भवसायर तरइ ४ पू० गिरिनार मंडन श्रीनेमनाथ गीत राग : कनडु कल्याण ॥ कागद कहु धुंकई सिकरी लषीइ लिखतई ए कागति न पाउं किनुं आगई दुख भषीइ १ कागद० कहा करूं लेख लखी आलोहें मुखि नीसासा नीकलीइ वइ नीसासा फाससु आवइ कोर बिलोनुं जिलीइ २ कागद० फूनि लेखनकी धरु मनि आसा तउ मुख मूंद न खलीइ नयनां भरि भरि आंजू.आवइ कागद छरु गिल भलीइ ३ कागद० ओरां पासइ ज्याई लखाउं मेरा दुख सुनीवइ दुख पावइ कुंहेतिउं ओ होई यावइ(?) उनका दख किउं बलीइ ४ कागद० बिरह अगनि हूं ज्याई बूझााउं गिरिनारिकुं चिलीइ बिनयचंद प्रभु बिरह निवारी नेम राजीमति मिलीइ ५ कागद० ॥ इति गीतं ॥ Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.520515
Book TitleAnusandhan 1999 00 SrNo 15
Original Sutra AuthorN/A
AuthorShilchandrasuri
PublisherKalikal Sarvagya Shri Hemchandracharya Navam Janmashatabdi Smruti Sanskar Shikshannidhi Ahmedabad
Publication Year1999
Total Pages118
LanguageSanskrit, Prakrit
ClassificationMagazine, India_Anusandhan, & India
File Size5 MB
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