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________________ श्री भंवरलाल नाहटा (कलकत्ता) का पत्र ११. अनुसन्धान-१२ ३ श्रीकल्पना शेठ द्वारा संपादित ज्ञानधर्मकृत दामनक कुलपुत्रक रास में रचयिता के परिचय को स्वयं लेखकने लिखा ही है। इन ज्ञानधर्मजीके प्रशिष्य ही सुप्रसिद्ध उ.श्री देवचंद्रजी महाराज थे जो विश्वविश्रुत उच्चकोटिके आध्यात्मिक और शास्त्रवेत्त विद्वान थे। स्थानकवासी साध्वी आरतीजीने उन पर थीसिस ग्रंथ लिखकर डाक्टरेट प्राप्त की है। चोथा लेख श्रीसहजकीर्ति उपाध्यायकृत श्रीपार्श्वनाथ महादंडक स्तुति हे जो श्रीप्रद्युम्नसूरि महाराजने प्रकाशित किया है। ये उच्चकोटिके विद्वान थे। जेसलमेर-लोद्रव पार्श्वनाथ तीर्थमें शिलापट्ट पर खुदा हुआ शतदलपद्म यंत्र विशिष्ट कृति हे जो जैन लेखसंग्रहमे सचित्र प्रकाशित हे। (श्रीपूरणचंद्रजी नाहर के जैन ले. सं. भाग ३ में है।) उपाध्याय सहजकीर्तिकी प्रचुर रचनाएं उपलब्ध है, जिसकी सूचि यहाँ दे रहा __ हूं। यदि आवश्यक हो ते प्रतियां कहां उपलब्ध हे वह भी सूचित कर दिया जायगा १. वैराग्यशतक २. ऋजु-प्राज्ञ व्याकरण ३. फलवद्धि पार्श्वनाथ महाकाव्य ४. अनेकशास्त्रसारसमुच्चय ५. बृहत्कल्पसूत्र-अर्थ ६. निशीथसूत्र-अर्थ ७. कल्पसूत्र टीका-कल्पमंजरी ८. दशवैकालिक टीका ९. वन्दित्तुसूत्र बालावबोध १०. व्यवहार सूत्र-अर्थ ११. गौतमकुलक टीका १२. यशोधर प्रबन्ध १३. प्रवचनसार बालावबोध १४. १२ व्रत टिप्पण १५. शब्दार्थ व्याकरण १६. सिद्धशब्दार्णवनाम कोश १७. कलावती चौपई १८. देवराज वत्सराज चौपई Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.520514
Book TitleAnusandhan 1999 00 SrNo 14
Original Sutra AuthorN/A
AuthorShilchandrasuri
PublisherKalikal Sarvagya Shri Hemchandracharya Navam Janmashatabdi Smruti Sanskar Shikshannidhi Ahmedabad
Publication Year1999
Total Pages144
LanguageSanskrit, Prakrit
ClassificationMagazine, India_Anusandhan, & India
File Size6 MB
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