________________
121
ओडवो
गुजरातमां इंटो पाडतां जरूरी पाणी भरी राखवा माटे जे खाडो करवामां आवे तेने ओडवो कहे छे.
जो. मां आ शब्दनी नोंध नथी. भ. गोमं. अने बृ.गु.को. मां "ओथमां बेसाय तेवो डो, चाकडा उपरनो चाक फेरववा माटेनो खाडो" एवो अर्थ आपेलो छे.
रांत बृ.गु.को. मां ओडो' नो अर्थ 'पाणी अटकाववानी पाळ' एवो आप्यो छे. ळी जो.को. मां ओडवुं एवो शब्द 'खाळवु, रोकवुं' एवो आपेल छे अने हिं गोड नी सरखामणी माटे नोंध्यो छे.
२. व्युत्पत्ति
टर्नर क्रमांक ७७४मां नोंधे छे: वैदिक अवत 'कूवो, टांकु.', प्रशिष्ट संस्कृत अवट 'भोंयमांनो खाडो' प्राकृत अवड > अवड 'कूवो' अगड 'कूवो, हवाडो' भोज ओड 'खाडो'.
१३. ओडवो
गुजराती भाषानो अंगविस्तार प्रत्यय वो लागतां, ओडवो शब्द बने छे, जे प्रत्ययथी किशो अर्थभेद थतो नथी के अर्थमां फरक पडतो नथी.
छारुं
'छारुं ' के 'छार' शब्द 'इंटवाडानो घसाइने पडेलो भूको' ए अर्थरूपे कोशो नोंधे छे. 'छावुं' क्रियापद पण 'इंटवाडानो भूको दबाववो' एवा अर्थमां वषरातुं नोंध्युं छे.
'छार' (स्त्री) 'राख' एवो अर्थमां अने तेना उपरथी क्रियापद 'छारवुं' - 'बाळीने खाख कर' एवा अर्थमां कोशो आपे छे. सं. क्षार, प्रा. खार, छार अने तेना परथी भारतीय भाषाओमां शब्दो ऊतरी आव्या छे. टर्नर शब्द क्रमांक ३६७४.
Jain Education International
For Private & Personal Use Only
www.jainelibrary.org