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________________ त्रू० नू. प्रणव सहित विक्रयलबधी केवलनाणी तिहां बहू घणा आभिणिबोहिणाणी सुयणाणी छइ सहू । बीजबुद्धी कुट्टबुद्धी पयाणुसारिणोवरा मणबलीया वयबलीया कायबलीया सुयधरा ॥ ३० ॥ मणपज्जवणाणी अछइ ए संभिण्णरासोईया केवि के । व्यद्याहर मुनीशरूप चारण चारण दोय मलेवि के । मणपज्जवणाणी अछइ ए ॥ ३९ ॥ अछइ णांणी आमोसहीया विप्पोसहीया सव्वोसहीया सुरवरा । नाणबलीया दश[न] बलीया चरित्तबलीया दुखहरा । खीरासवीया महूयासवीया सप्पीया सवीया वरा ॥३२ ॥ अखीणमाहणसीया मुनि ए तपीया य तपीया य तिनुं परवार के । बार भेदे तप करइ ए ध्यानीय ध्यानीय छइ मनोहार के । अखीणमाहणसीया मुनि ए ॥ ३३ ॥ मुनिवरा चुथ छठ अट्ठम दसम दुवाल समर धरा । मासखमण एक दुति चु पंच छ परमुखकरा आंबिल नीवी एकासणीया अंत पंत आहरी यती । दोष रहिता समतिहता (?) पाप पंक नहीं रती ॥ ३४ ॥ एहवा मुनिवर वांदीइ ए समरीइ समरीइ रातिनई दीस के । सोहम्मस्वामि तणा यती ए संपति संपति हुइ जगीस कि । एहवा मुनिवर वांदीइ ए ।। ३५ ।। वादी मुनिवर पिं लबद्धि पूरा जे अछइ सूरा २. तप विशेषनां नामो । त्रू० राजग्रहए नयर पुरसरि आवइ सोहम्म मलपता पांचसइ अणगार साथि दया वाणी जलपतां ॥ २८ ॥ प्रणव सहित नमो यती ए अवधि अवधि नाणीय अनेक के रिजूमई विफू (पु) लमई भली ए । पूरव पूरवधर सववेक के । प्रणव सहित नमो यती ए ॥ २९ ॥ 82 त्र० १. एक पंक्ति खटे छे । Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.520509
Book TitleAnusandhan 1997 00 SrNo 09
Original Sutra AuthorN/A
AuthorShilchandrasuri
PublisherKalikal Sarvagya Shri Hemchandracharya Navam Janmashatabdi Smruti Sanskar Shikshannidhi Ahmedabad
Publication Year1997
Total Pages126
LanguageSanskrit, Prakrit
ClassificationMagazine, India_Anusandhan, & India
File Size6 MB
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