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________________ [5] सालू भेरव नइं पांमरी, चीर पटोला देसाउरी जरतारी वस्त्र पहेंरणइं, गौतमना गुण जे नर भणइं ॥ वेढ वांकलां नदुं (नई) सांकली, कंदोरा पहेंरई मनरूली कडी नवनां हीरई जड्यां, गौतमनांमई अंगई चढ्यां ॥ ३५ दार झूमणां झांझर झमकार, कांकण कांकणी अती हई सफार चाक चांदलो रूडो घड्यो, गौतमनांमइं ते सीर चढ्यो ॥ ३६ चूआ जबाद कस्तुरी फूल, अंबर अरगजानुं बहू मुल केसर चंदननां छांटणां, गौतमनांमई दीसई घणां ।। ढोल तलाई मीसरूतणी, गालमसुरीआं चादर सुणी भला सेज करो आराम, सुखसाता लहइं गौतमनाम ॥ गज घोडां पायक पालखी, गौतमनांमइं थाइं सुखी रथ धोरी बेसी संचरई, गौतमध्यांन रिदयमा धरई ।। सुभ सकुन लहइं जातां गांम, सुभ सूपनांतर गौतम नाम । सुभ मुहूरत सुभ काजई मिलई, गौतमनामई अफलां फलई ॥ ४० वैरी मीत्र सरीखा थाय, गौतमनांमई प्रणमई पाय ना(रा)जा मांनइं सहू को नमई, गौतमध्यान ऋदयमा रमई ॥ ४१ जी जी कार सहू को करई, बोल्युं वचन नवि पार्छ फीरइं कीरतवेल पसरई जग बहूं, गौतमनांमई इछइं सहूं ।। पद्मद्रहथी आवें वही, सीदेवी घरवासई रही गौतमनामई थीर रहइं सही, खरचंतां खुटइं पीण नहीं ॥ विणज करतां नावइ खोट, गौतमनांमई सबली चोट लखेसरी कोटीस्वरीपणुं, गौतमनांमई दीसई घणुं ॥ वस्तु बहू प्रवहांणइं भरइं, भरदरीआमांहिं संचरइं गौतमनांमई नहीं तोफांन, कुसलई ल्यावई बहूं नीधांन ॥ ४५ Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.520507
Book TitleAnusandhan 1996 00 SrNo 07
Original Sutra AuthorN/A
AuthorShilchandrasuri
PublisherKalikal Sarvagya Shri Hemchandracharya Navam Janmashatabdi Smruti Sanskar Shikshannidhi Ahmedabad
Publication Year1996
Total Pages130
LanguageSanskrit, Prakrit
ClassificationMagazine, India_Anusandhan, & India
File Size6 MB
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