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________________ [49] मचकुंद मरुउ मालती ए, न० । कुंद मकुंद तमाल || २२|| सिंदुवार वर पारधिई ए, न० । भगति पूजइ भूप । कृष्णागुरु कपूरनउं ए, न० । ऊगाहई वर धूप ॥ २३ ॥ पुष्प फल चय ढोअतउ ए, न० । आरती मंगलदीप । अतिऊलटिइं भूपति करइ ए, न० । भाट भणइ चिरं जीव ॥ २४ ॥ भाविइं जिन वंदन करइ ए, न० । अवनिई तिन्न पणाम | निसि सुहणइ गदपालकू ए, न० । कहइ राय दिउ अम्ह ठाम ॥२५॥ रही न सकुं देहि तुम्ह तणइ ए, न० । पासजिण न्हवणइ नीरि । षटमास ते अज पालजो ए, न० । रहिवउं जेह सरीरि । २६ ।। राय वचनि ते मानिउ ए न० । सहूइ कहइ अजपाल | करमवसि ते एकलउ ए, न. । पास पूजइ त्रिणि काल ।। २७ ।। वस्तु ॥ पास जिणवर २ न्हवणजलि राय कुष्ट अढार गिया टली मिली वात धनसार-कहिअ चंदन - केसरि अरचि करिहं सिंदुवार वरजाइ जुहीअ 1 चंपकमाला पूजतां सुंहणामांहि गपालि । वात कही ते पालतां नाम हूउं अजपाल ॥ २८ ॥ भाषा सेतुंजिगिरि तलहटीई सार, सायर तीरि सोहविउं ए जिहां अज पालतुं तिहां अजपालि, अजपुर नयर वसाविउ ए २ || २९ ॥ गढ मढ मंदिर पोलि विशाल जिनमंदिर सोहामणु ए २ । महामहोच्छव थाप्या पास, सुंदरि करई वद्धामणु ए ॥ ३० ॥ परिसरि अचरहं देहरी मज्झि, जिणवर पडिमा थापीइ ए । पूजा कारण राय अजपालि, सोल गाम तव आपीई ए ॥ ३१ ॥ पास अजाउर पूजी राय, उवझा नयरिगं आवीआ ए २ । दशरथ सुतनई सूपी राज, लेई संजम भावीआ ए २ ||३२|| Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.520507
Book TitleAnusandhan 1996 00 SrNo 07
Original Sutra AuthorN/A
AuthorShilchandrasuri
PublisherKalikal Sarvagya Shri Hemchandracharya Navam Janmashatabdi Smruti Sanskar Shikshannidhi Ahmedabad
Publication Year1996
Total Pages130
LanguageSanskrit, Prakrit
ClassificationMagazine, India_Anusandhan, & India
File Size6 MB
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