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________________ [13] अने बौद्ध रससिद्ध नागार्जुन साथे संकळायेला, महावीरनी मन्त्रगभित सुवर्णसिध्दि -स्तुति ना रचयिता, क्रममां द्वितीय, पादलिप्तसूरि किमियागर होवानो संभव छे. (मारो इशारो तेमना तरफ हतो). पोते खातरी न करी होय, चकासी न होय, तेवी मन्त्रसिद्ध स्तुतिनुं निर्माण करवाथी शुं फायदो ? आ पादलिप्तसूरि पगे खास वनस्पतिओनो लेप लगावी आकाशगमन करता तेवू चरितकारो नोंधे छे. आ बधां लक्षणो चैत्यावासीओनां ज होवा विषे शंका नथी. कोई चैत्यवासी साधु कीमियागर पण होय तो तेमां अजुगतुं शुं छे ? सुविहित साधु माटे तो अलबत्त ए लांछन रूप गणाय अने प्राचीन काळना निर्ग्रन्थ मुनिओ माटे तो तेनी कल्पना पण न थई शके. (आगमोमां मुनिओने वैदूं, ज्योतिष, मन्त्रादि आदि प्रवृत्तिओनो स्पष्ट निषेध छे ज. धातुवाद, तन्त्रवाद आदि तो आगमोना काळथी घणा समय बाद जैन सम्प्रदायमां घुसेला). (३) भायाणी साहेबनी "गौलेय', 'गोला', गोदावरीनो देश) अने ते परथी उतरी आवेला 'गोला' लोको उपरनी रसप्रद नोंध वांची. पोरबंदरमां अमारु मकान 'गोलवाड शेरी' मां आवेलुं छे. प्रायः ८०-१०० वर्ष पूर्वे त्यां गोला जातिनी, दासत्व कार्य करनारी, कोमना कुटुंबो रहेतां हता तेवू नानपणमां वृद्धो पासेथी सांभळ्यानुं स्मरण छे. पण गोलाओनी वणिक ज्ञाति पण छे. मध्यप्रदेशमा आजे पण 'गोला पूरव' नायक दिगम्बर जैन धर्म पाळती वाणियानी नात छे. सोलंकी भीमदेव द्वितीयना मंत्री आह्लादन "गल्लक' जातिना वणिक हता. अने ए काळे थयेला नागेन्द्रगच्छीय वर्धमानसरिने लघप्रबन्धसंग्रह (१५मी सदी) मां 'गल्लक' (ज्ञातिनां) 'गुरु' कह्या छे आ गल्लक ते 'गोला' नुं संस्कृतीकरण पामेलु रूप हशे ? आ वर्धमान सूरि ऊना-अजारा, प्रभास आदि स्थळोमां विचर्या होवानो संभव प्रकट करतो उल्लेख अजाहराना एक प्रतिमासनना लेख परथी स्पष्ट छे, अने वेरावळमां (तथा प्रभासमां पण ?) गोला वाणियानी ज्ञाति हती तेवं प्रभासपाटणना मारा मित्र (स्व.) हरिशंकर प्रभाशंकर शास्त्रीए मने जणाव्यानुं स्मरण छे. मधुसूदन ढांकी वडगच्छनी स्थापना अंगे वड नीचे आठने आचार्य पदवी आपवानी वात Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.520507
Book TitleAnusandhan 1996 00 SrNo 07
Original Sutra AuthorN/A
AuthorShilchandrasuri
PublisherKalikal Sarvagya Shri Hemchandracharya Navam Janmashatabdi Smruti Sanskar Shikshannidhi Ahmedabad
Publication Year1996
Total Pages130
LanguageSanskrit, Prakrit
ClassificationMagazine, India_Anusandhan, & India
File Size6 MB
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