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[115] उपाध्याय, कर्ता तरीके नाम छे तेथी "जैन गूर्जर कविओ" अने गुजराती साहित्यकोश'नी माहिती परिमार्जननो विषय बने छ एम योग्य रीते ज कहे छे.
परंतु आ अंगे थोडी स्पष्टता अने पूर्तिने अवकाश छे :
(१) 'जैन गूर्जर कविओ' (बीजी आवृत्ति) भा.१, पृ. ३६३ पर आ कृति 'आदिनाथ स्तवन' ए नामथी वासणने नामे मुकायेली छे परंतु भा. ७ पृ. ८०४ पर आनी शुद्धि आपवामां आवी छे अने कर्ता विजयतिलक होवानुं जणावायुं छे.
(२) 'जैन गूर्जर कविओ' भा. १ पृ. ४६८ पर 'आदिनाथ स्तवन' विजयतिलक उपाध्यायने नामे मळे ज छे. त्यां पुशियन स्टेट लाइब्रेरीनी त्रण प्रत नोंधायेली छे जेमांनी बे संस्कृत अवसूरि साथे छे अने एक गुजराती बालावबोध साथे. संस्कृत अवसूरि विजयतिलक उपाध्याय कर्ता तरीके स्पष्ट रीते नाम आपे छे. (उपर निर्दिष्ट शुद्धिनो आधार आ माहिती ज छे.)
(३) उपरांत, आ कृतिनी घणी हस्तप्रतो - विजयतिलकने नामे ज - ला.द. भारतीय संस्कृति विद्यामंदिर, अमदावाद तथा हेमचंद्राचार्य जैन ज्ञानमंदिर, पाटणमां प्राप्य होवानी पण त्यां ज नोंध छे.
कृतिनी आटलीबधी हस्तप्रतो होवी ने एना पर संस्कृतमा टीका ने गुजरातीमां बालावबोध रचावा ते बतावे छे के कृतिनुं संप्रदायमां विशिष्ट ने महत्वनुं स्थान हतुं. आ बधां साधनोनो उपयोग करीने संस्कृत टीका अने गुजराती बालावबोध साथे कृतिनुं संपादन करवा, अने एनी साथे पोतानो अभ्यास जोडवा, कोई विचारे तो ए श्रम सार्थक हशे एम लागे छे. भाषादृष्टिए पण केटलीक मूल्यवान सामग्री एमांथी सांपडशे...
(४) 'गुजराती साहित्यकोश (मध्यकाल)'मां वासणने नामे आ कृति छे ते उपरांत 'विजयतिलक उपाध्याय'ने नामे पण आ कृति छे ! (पृ. ४०१) . आनो आधार, अलबत्त, प्रशियन स्टेट लायब्रेरीनी प्रतो ज. २१ मे १९९६
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