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ट्रॅक नोंध
उपाध्याय श्रीयशोविजयजीना अंतिम समय तथा समाधिस्थळ विषे
-विजयशीलचन्द्रसूरि उपाध्याय श्रीयशोजियजी, नाम अने काम विद्वज्जगत माटे अति परिचित अने प्रसिद्ध छे. तेमनी जन्म तारीख तेमज मृत्यु तारीख हजी सुधी तो अप्राप्त छे. परंपरा प्रमाणे तेमना स्वर्गवास, वर्ष शं. १७४३ अने तिथि मागशर शुदि ११ मनाय छे, जेने कोई प्रकारना प्रमाणनो आधार नथी ज. .
श्रीयशोविजयजीनो स्वर्गवास डभोईमां थयेलो अने त्यां गामनी बहार स्मशानभूमिनी नजीकनी, हाल 'यशोवाटिका' तरीके ओळखाती भूमिमां तेमना अंतिम संस्कार थया छे, ज्यां तेमनो स्तूप छे अने तेमां पादुका पण छे. आ पादुका उपरना लेखमां स. १७४५नी मा. शु. ११ना रोज, उपाध्यायजीना ज शिष्य [तत्त्व] विजयजीए तेनी प्रतिष्ठा करी होवानो उल्लेख छे. आथी मा.शु. ११ ते स्वर्गवासनी नहि, पण पादुका स्थापनानी तिथि होवानुं मानीए, ते वधु समुचित गणाय. स्वर्गवास पाम्या पछी थोडा ज वखतमां अग्निदाहना स्थले देरी बनावी तेमां पादका बेसाडवानी प्रणालिकाने लक्ष्यमा राखीए, तो सं. १७४४ना चातुर्मासमां -डभोईमां-तेमनो स्वर्गवास थयो होय, के चातुर्मास पूरुं थतांमां ज ते बनाव बन्यो होय, अने पछी संघे सत्वर नानो थूभ रचीने तेमना शिष्यो विहार करी जाय ते पहेलां ज, तेमना हाथे ज, पादुका प्रतिष्ठित करी होय, तेवी अटकल तथ्यनी वधु नजदीक लागे छे. प्रमाणभूत प्रमाण न मळे त्यां सुधी अटकळोथी ज काम नभाववानुं छे, ते स्थितिमां परंपरागत प्रणालिका-सापेक्ष अटकळ करवामां वधु औचित्य जणाय छे.
बीजो एक मुद्दो अग्निदाहनी भूमिनो पण छे. अत्यारे ज्यां यशोवाटिका छे त्यांथी दक्षिणे पांच-सात मिनिटना अंतरे एक खेतरमा एक पुराणी देरीनुं खंडेर छे; एक वायका प्रमाणे ते स्थाने यशोविजयजीना अंतिम संस्कार थयानुं मनाय
परंतु, आ स्थान जोया पछी, आ वायका तथ्यविहोणी ज समजाय छे.
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