SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 62
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ [57] ॥३॥ ॥७॥ ||८|| नायक त्रिहुं भुवणहतणा जोयइं जासु पसाउ । इक्क जीह किम वनियइ सो गोयमु गणराउ तहवि सु गणहरु संथुणवि पामिसु निम्मल बुद्धि । जसु सामिय नामग्गहणि फुरई अचिंतिय सिद्धि ॥४॥ होइ सु नरु कविचक्कवइ, लच्छि-सरस्सइ-कंतु । जो आराहइ इक्क-मणि इंद्रभूति भगवंतु सिरि-गोयम-गणहरु जयउ बहुविहलद्धिसमिद्ध । सयल-सूरि-चूडा-रयणु जिणसासणि सुपसिद्ध ॥६॥ कज्जारंभिहिं जे भविय गोयमु चित्ति धरंति । ते गलहत्थिय दुरियभरु दुत्तरु झत्ति तरंति सिरिगोयमगुरु पय-कमलु हियइ-सरोवरि जाहं । बालक जिम रंगिहि रमई नवनिहि अंगणि ताहं जे गुणियण नियमणि धरई अहनिसि गोयम-झाणु । ते रायहं मंदिरि लहई सिरि सोहगु संमाणु ॥ प्रह उट्ठवि भाविहिं भणई जे गोयम-गुरु-नामु । ते धणु भोयणु पंगुरणु पामई मण-अभिरामु ॥१०॥ इणि भवि परभवि भवियजण पामिय सुक्ख-सयाई । भवसायरु लीलई तरई गोयम-पाय-पसाइं गोयमसामिउ मई थुणिउ इम गरुयउ गुणवंतु । संघ-मरु नंदण-वणिहिं सुरतरु जिम जयवंतु ॥१२ दूहा ॥ ता । सुरतरु जिम जयवंतु महावणि, सुरभंडारि जेम चिंतामणि । दिणमणि जिम सोहइ गयणंगणि, तिम जिणसासणि सिरि-गोयम-गणि ॥१३॥ सिरि-गोयम-गणि तिम जिणसासणि सोहइ जिम निसि चंदु । वस्-गुब्बस्-गामि मगह-महि-मंडलि बंभ-वंस आणंदु ॥ ॥९॥ ॥११॥ Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.520506
Book TitleAnusandhan 1996 00 SrNo 06
Original Sutra AuthorN/A
AuthorShilchandrasuri
PublisherKalikal Sarvagya Shri Hemchandracharya Navam Janmashatabdi Smruti Sanskar Shikshannidhi Ahmedabad
Publication Year1996
Total Pages122
LanguageSanskrit, Prakrit
ClassificationMagazine, India_Anusandhan, & India
File Size6 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy