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वैशेषिक दर्शनमां जे कहेवायुं छे तेनी रजूआत... मूळ संस्कृत, प्राकृत, पालि ग्रंथोने आधारे करवामां आवी छे.' (नगीन जी. शाहना प्रास्ताविकमांथी)
५. धेट विच इझ : तत्त्वार्थसूत्र उमास्वाति/उमास्वामी, पूज्यपाद अने सिद्धसेनगणिनी वृत्तिओ साथे अंग्रेजी अनुवाद. अनुवादक नथमल टटिया (१९९४)
इन्टर्नेशन सेक्रेड लिटररी ट्रस्टना स्थापक आश्रयदाताओमां एडिम्बरोना ड्युक प्रिन्स फिलिप्स छे, अने आश्रयदाताओमां नवीन चंदरिया वगेरे छे. तेनी जगतना मुख्य धर्मोना मूळभूत धार्मिक-दार्शनिक ग्रंथोना प्रमाणभूत अंग्रेजी अनुवाद तैयार करावी प्रकाशित करवा माटे स्थापित 'सेक्रेड लिटरेचर सिरीझ'मां जैन ग्रंथोनी श्रेणीमा पहेला ग्रंथ करीके आ पुस्तक प्रकाशित थयुं छे. डॉ. टटिया जेवा जैन दर्शनना प्रकाण्ड विद्वाने आ अनुवाद तैयार कर्यो छे, अने तेमां प्रारंभे बर्कलीनी केलिफोर्निया युनिवर्सिटीना प्रोफेसर पद्मनाभ जैनीनो जैन धर्म अने तेना इतिहास पर परिचयलेख आपेलो छे.
६. बर्लिन युनिवर्सिटी तरफथी प्रकाशित थता भारतीय विद्याने लगता संशोधन-सामयिक Berliner Indologische Studienनो ७मा ग्रंथ (१९८३)मां जैन साहित्य अने प्राकृत भाषाना अध्ययननी दृष्टिए नीचेना लेखो उपयोगी छ :
On Early Apabhramsa : हरिवल्लभ भायाणी Sectional Studies in Jainology क्लाउस ब्रून
The Art of Writing at the Time of the Pilar Edicts of Asoka. हेरी फाल्क ___७. केनेडाथी प्रकाशित जैन साहित्य तथा धर्म विषयक संशोधनात्मक .. अर्धवार्षिक 'जैनमंजरी'ना दसमा ग्रंथना बीजा अंकमां (ओक्टोबर १९९४) (An Exploration of the History of Jaina India in the South.) दक्षिण भारतमां जैन धर्मना इतिहास विषयक घणा उपोयगी लेखो छे.
८. अरविन्द शर्मा संपादित Religion and women ए पुस्तकमां (१९९३) पेरिस युनिवर्सिटीना प्रोफेसर डॉ. नलिनी बलबीरनो Women in Jainism (जैन धर्ममां स्त्रीओ)ए लेखमां जैन परंपरामां साध्वी, श्राविका
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