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'सुबोधिका' वृत्ति (कर्ता : उपाध्याय विनयविजय गणि) विशेष मान्य छे. आ वृत्तिमां, 'स्थविरावली'नी वाचनामां आवता स्थूलभद्रचरित्रमां एक गाथा आ प्रमाणे मुद्रित जोवा मळे छे न दुक्करं अंबयलुंबितोडणं
:
न दुक्करं सरिसवनच्चियाए ।
तं दुक्करं तं च महाणुभावं
जं सो मुणी पमयवणम्मि वुच्छो (? त्थो) |
आ गाथा 'आवश्यकसूत्र' गा. ९४५नी हारिभद्रीय वृत्तिमां, पण वैनयिकी बुद्धिना दृष्यन्त सन्दर्भमां प्राप्त थाय छे. परंतु तेमां पूर्वार्ध आ प्रमाणे छे "न दुक्करं छोडिय अंबपिंडी
:
ण दुक्करं सिक्खिउ नच्चियाए । "
आ पाठ छंदनी तथा सन्दर्भनी दृष्टिए वधु सुसंगत जणाय छे.
(६)
'तूतीनामा'नां बे जैन चित्रो
'ध क्लीवलेन्ड म्युझियम ऑफ आर्ट्स, क्लीवलेन्ड, ओहियो' तरफथी 'तूतीनामा' (Tutinama, Tales of a Parrot) नामे ग्रन्थ ई. १९७८मां प्रकाशित थयो छे. आ कृतिमां ५२ कथाओ छे. ई. १३मा शतकना पश्चार्धमा थयेला, दिल्ली नजीक बदायुंमां वसेला, सूफीमतना उपासक "झियाउद्दीन नक्षाबी" नामे लेखके, भारतीय मूळ धरावती अने 'शुकसप्तति', 'पंचतंत्र' वगेरे तेम ज तेनां परभाषी रूपांतरनी कृतिओ उपर आधारित आ 'तूतीनामा'ने सरल स्वरूपमां ढाळी आपेल छे. आधी तूतीनामाने 'Nights by nakhshabi' तरीके पण ओळखावाय छे. आ ग्रंथनो अंग्रेजी अनुवाद तथा तेनुं संपादन मुहम्मद ए. सिमसर नामना विद्वाने कर्तुं छे.
मूळे आ ग्रन्थ सचित्र छे. तेनां केटलांक चित्रो प्रस्तुत प्रकाशनमां छापेल छे. परशियन स्टाइलनां आ चित्रो स्वभावतः मधुर अने मनोहर लागे तेवां छे. अहीं तेमांनां बे चित्रो विशे चर्चा करवी छे. आ बन्ने चित्रोमां भगवान तीर्थंकरनी प्रतिमाओ चित्रित थई छे. एक मुस्लिम
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