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________________ १. “बादर :- सूक्ष्मकिट्टीकृतसम्परायापेक्षया स्थूरः सम्परायो यस्य स बादरसम्परायः ।।" (बादर एटले सूक्ष्म - चूर्णीकृत - कषायोनी सरखामणीमां स्थूर - स्थूल छे कषाय जेने ते बादरसम्पराय (कहेवाय). ("द्वितीय कर्मस्तवाख्य कर्मग्रन्थ टीका' (र.सं. १४मो शतक)मां पृ.७२ कर्ताः देवेन्द्रसूरि, सं. मुनि चतुरविजय, प्र. आत्मानन्द सभा. भावनगर, ई. १९३४.) २. “निष्क्रमणसमये संवत्सरं यावत् स्थूरचामीकरधारासारैः प्रावृषेण्य-धाराधर इव" || (दीक्षा समये (तीर्थंकर) एक वर्ष-पर्यन्त सुवर्णनी स्थूर--जाडी धाराओ (वरसाववा द्वारा) वर्षाकालना मेघ-समा). (एजन. पृ.९५) ३. “केवलं स्थिर-स्थूर-कालत्रयवर्ति वस्त्वभ्युपगमपरव्यवहारनयमतमाश्रित्याऽऽवलिकादिकाल: प्ररूप्यते ।।" (मात्र स्थिर, स्थूर - जाडा, त्रिकाले वर्तता पदार्थोनो स्वीकार करनारा व्यवहारनयना मतथी आवलिका वगेरे कालभेदोनी प्ररूपणा कराय छे). ('जीवसमास प्रकरण'नी मलधारि हेमचन्द्रसूरिकृत वृत्ति (वि.सं. ११६५)मां; प्र. जैन ग्रन्थ प्रकाशन समिति, खंभात, सं. शीलचन्द्रविजय, ई. १९९४, पृ.८३). -शीलचन्द्रविजय ३. असड्डल हेमचंद्राचार्य अपभ्रंश व्याकरणमां नोंध्युं छे के अपभ्रंशमां असड्डल शब्द 'असाधारण' एवा अर्थमां वपराय छे (सिहे. ८.४२२.c). उदाहरण लेखे एवा अर्थनो दोहो आप्यो छे के 'क्यां चंद्र अने क्या सागर ? क्या मोर अने क्यां मेघ ? सज्जनो वच्चे, तेओ एकबीजाथी घणा दूर रहेला होय तो पण असाधारण (असट्टलु) स्नेह होय छे.' असडल शब्दनो बीजो कोई प्रयोग कोशोमां नोंधायो नथी. नवमी शताब्दीमा अपभ्रंश महाकवि स्वयंभूना छंदोग्रंथ 'स्वयंभूछंद'मां अपभ्रंश महाकाव्योना स्वरूपनी वात करतां कर्तुं छे के केटलीक वार संधिना आरंभे छड्डुणिया छंदमां पद्य आवे छे. आ छड्डणिया आंतरसमा चतुष्पदीना प्रकारनी होय छे, जेनुं माप १२+९, १२+९ मात्रानुं छे. तेना उदाहरण तरीके आपेला पद्यनो संपादक ह. दा. वेलणकरे आपेलो पाठ अने संस्कृत छाया नीचे प्रमाणे छ : लग्ग ह (अ)णेअ असड्डलु, तुह चलणेहिं पणउ । जिम जाणहिं तिम पालहिं, किंकर अप्पणउ ।। [23] Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.520503
Book TitleAnusandhan 1994 00 SrNo 03
Original Sutra AuthorN/A
AuthorShilchandrasuri
PublisherKalikal Sarvagya Shri Hemchandracharya Navam Janmashatabdi Smruti Sanskar Shikshannidhi Ahmedabad
Publication Year1994
Total Pages54
LanguageSanskrit, Prakrit
ClassificationMagazine, India_Anusandhan, & India
File Size3 MB
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