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________________ sani MANESiminatestimulana ABHISHER विश्व जनजीवन को महावीर की वाणी की आवश्यकता अहिंसा-अपरिग्रह उपदेशक को श्रद्धांजलि कलकत्ता में भगवान महाबार की २५७३वी जयन्ती सभा के अवसर पर लिए गए चित्र में विश्वमित्र सम्पादक श्री कृष्णचन्द्र अग्रवाल धारन भाषण कर रहे हैं। मव पर आचाय कल्य णमल लोढ़ा, श. र.मारवन मुखर्जी, सर्वश्री रामकुमार बोथरा गंभीरचन्द बोथरा, पं. सुमेरुचद दिवाकर डा. प्रम पुमन जन, मिश्रीलालजन और मोहनलाल पारसान परिलक्षित है। लोककल्याण मनके उपदेश को ग्रण करने से ही सम्भव है।" मृमचन्द दिवाकर शास्... प्रेम मुमन न. प्रा. कस्तुरचम्म लालवानी. श्री मिश्रीलाल जैन, श्री विजय युनिजी एवं अन्यों ने भी भगवान महावीर को अपनी श्रद्धांजलि अर्पित की। मायोजन (निज प्रतिनिधि द्वारा ) की अध्यक्षता श्री गंभोगद कलकत्ता, २५.अवल। यहां दिव्य प्रकाश को अबरुद्ध नहीं रोषरा कर रहे थे। आपने सहकेन्द्रीय जन सभा द्वारा गठित रखा जाए इस सब जन हिताय बोग के लिए सबका धन्यवाद महावीर जयन्ती समा- साजन सुखाय विश्व भर में ज्ञापन किया। प्रारम्भ रोह समिति के तत्वावधान में फलने दिया जाए। इस सम्बभ में मोहनलाल पासवान ने बत बायोजित एक सभा में अहिंसा श्री अग्रवाल ने. विश्व के दूसरे भाषण किया। जैन ' को और अपरिग्रह के महान उपदेशक राम्रो विशेषकर सोयित रूस ओरसेनीयोन ने,श्री तकर महावार को सादर और कम्युनि? जानी में जन महास और प्रेम समन पांजलि आपत करतेइए विभित्र दान पर हो रहे शोध कार्यों का को उनकी कृतियों के लिए बताबों मेजर मा कि उल्लख कर कहा. भार• पन्द्रह सौ के पुरस्कार प्रवान वर्तमान में केवल भारत के लोगों तीय वाम एब-शाको पर कए। बालिकाओ ने धार्मिक को ही नहीं बल्कि पीड़ित विश्व विदेशों में हो रहे अद्वितीय शोध सांस्कृतिक कार्यक्रम प्रस्तुत किया। के जन जीवन का महार की कायों को देखकर उनकी साधना मुनि श्री रूपचन्दगी का प्रवचन कल्याणमय वाणी एवं जन दर्शन के प्रति श्रद्धा होता है। तु बा । संत्री राजकुमार बोपरा, की आवश्यकता है। भगवान विराट जन साहित्य, धमार महावीर का २५७३वी जयन्ती सस्कृति को हमें और व्यापक माय मन पर्गव - पर आयोजित उक्तं अनशन का माना है त ति मानब सुख एवं मनपर. स नवरतन. उद्घाटन करते हर मित्र' गति का मार्ग बाधकतम प्रथा- मन सुरामा, दिया सत्यादक श्री कृष्णचन्द्र अग्रवाल ने शित हो। बयान विद्या : अदि की सक्रियता से पायोजन कहा कि भगवान महावीर के लय के वालपात मा. बहुत सफल रहा। रंजन मुखर्जी ने उक्त अवसर पर भव्य जुलूस कहा कि भगवान महावीर अपनी बन तीर्थकर महापौर भी अहिस और अपरिग्रह के माध्यम की जयन्ती के अवसर पर कमसदाधकाल पूर्व हर-समाजवाद कत्ते केदय जैन मन्दिरों नया का शिलान्यास कर गए हैं। अत: मन्दिर और तुलापट्ट स्थित जन बत मान जन जाबन को जन दर्शन मन्दिर से कम अलग अलग अभ्या को अत्यधिक आवश्यकता है। यामिक बनस भी निकाला गया। पीपक विश्वमित्र मुख्य वक्ता आवाय कल्याण -नया रिसी, २५ अक। मले लोग ने श्रद्धांजलि अर्पित लोकसभा में उप वित्त मन्त्री CALCUTTA. APBR, 20, ins. हुए कहा कि महावीर ने श्रीमती मुशीका सोहतगी में भी हमें आत्मशक्ति दी है। आजका बताया कि के वडा एवं संकट की स्थिति में राष्ट्रीयकरण पर सरकार विचार इसकी परम अनिवार्यता है। नहोकर है। Dainik Visvamitra, a Calcutta Daily in Hindi, April 26, 1975. The paper splashes the news of a meeting of distinguished scholars and educationists in connection with the Birth Anniversary of Mahavira. Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.520050
Book TitleJain Journal 1978 04
Original Sutra AuthorN/A
AuthorJain Bhawan Publication
PublisherJain Bhawan Publication
Publication Year1978
Total Pages53
LanguageEnglish
ClassificationMagazine, India_Jain Journal, & India
File Size3 MB
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