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________________ आज लहरों में निमंत्रण यह भी कोई बात हुई? यह तो बड़ी खतरनाक धारणा हुई। अगर तुम उन्हें मेरे पास लाना चाहते हो तो एक ही उपाय इस धारणा का अर्थ तो बड़ी हताशा होगा। तब हमारे हाथ में है—तुम्हारे जीवन में किसी तरह मेरी खबर उन्हें मिलनी कुल इतना ही है कि हम महावीरों की स्तुति करते रहें, स्वयं चाहिए; तुम्हारे शब्दों में नहीं। तुम्हारे कहने से वे न सुनेंगे। महावीर न बनें। | तुम्हारे होने को सुनेंगे। तुम्हारे भीतर गूंजने लगे नाद, तो इसलिए तुम जब उन्हें सिद्ध पुरुषों की बात कहोगे, वे राजी न | शायद...फिर भी मैं कहता हूं शायद, कोई जरूरी नहीं है। होंगे। तुम शायद सोचते हो कि तुम बड़ी सरल-सी बात कह रहे क्योंकि ऐसे बज्र-बधिर लोग हैं कि तुम्हारे भीतर घंटनाद गूंजता हो कि देखो! कोई सिद्ध पुरुष है, कोई जाग्रत पुरुष है, आओ, रहे, उन्हें कुछ भी सुनाई न पड़ेगा। ऐसे अंधे लोग हैं कि तुम सुनो, समझो, बैठो पास; थोड़ा सत्संग करो। चलो थोड़ी सेवा बदल भी जाओ, उन्हें कोई दीप्ति न दिखाई पड़ेगी। करें। तुम सोचते हो, सीधा-सा निमंत्रण दे रहे हो। यह निमंत्रण | तुम उनकी फिक्र छोड़ो। तुम उनकी चिंता मत करो। तुम उनके इतना सीधा नहीं है। यह निमंत्रण खतरनाक है। क्योंकि वह लिए प्रार्थना करो जरूर, लेकिन उन्हें समझाओ मत। आदमी अगर आ जाए तो फिर वही न हो सकेगा, जो था। वह | तुम जब ध्यान करके उठो तो उनके लिए प्रार्थना करो। जब तुम अपनी सुरक्षा कर रहा है। ध्यान करके उठो तब उन पर भी प्रभु की अनुकंपा हो, वे भी सत्य और दूसरी बात ध्यान रखना, दूसरे के बताए कोई कभी आता की तरफ उन्मुख हों, उनमें भी जाग आए ऐसी प्रार्थना करो, नहीं। तुम यह चिंता ही छोड़ो। इसमें समय खराब भी मत करो। | बस। तुम प्रभु को समझाओ कि उन्हें जगाए। तुम सीधे जगाने जिसको जब आना है, तभी आता है। जिसकी प्यास जब पक मत चले जाना। जाती है तभी आता है। तुम किसी को खींच-तानकर लाना मत। बुद्ध ने अपने भिक्षुओं को कहा है कि हर प्रार्थना, हर ध्यान तुम जितनी खींच-तान करोगे, उतने ही वह सुरक्षा के उपाय | करुणा पर पूरा होना चाहिए। जो तुम्हें हुआ है वह सारे जगत को करेगा। तुम जितना सिद्ध करने की कोशिश करोगे कि चलो, | हो, ऐसी भावना से ही ध्यान को पूरा करना। जो तुम्हें मिला है कोई जाग्रत पुरुष है, वह उतना ही सिद्ध करने की कोशिश करेगा | वह सबको मिले, ऐसी भावना से ही ध्यान के बाहर आना। कि नहीं, जाग्रत नहीं है। सब पाखंड है। सब धोखाधड़ी है। इसका परिणाम होगा। तर्क से, विचार से तुम सिद्ध न कर सब षड्यंत्र है, जालसाजी है। पाओगे। अक्सर तो ऐसा होगा, अगर तुमने तर्क किया तो तुम यह कोशिश ही मत करो। तुम आ गए, इतना बहुत। तुम शायद वे तुम्हें डांवाडोल कर दें, बजाय इसके कि तुम उन्हें बदलो। सारी शक्ति तुम अपनी बदलाहट में लगा दो। तुम्हारी | समझा पाओ। क्योंकि बात कुछ ऐसी है कि तर्क से समझाई नहीं बदलाहट ही शायद, जिन्हें तुम लाना चाहते हो, उन्हें आकर्षित | जा सकती, लेकिन तर्क से खंडित की जा सकती है। तुमने अगर करे तो करे। तुम्हारी आंखों में आ गई नई चमक, तुम्हारे चेहरे पर मेरे निकट कुछ पाया तो तुम उसे तर्क से समझा न सकोगे। हां, आ गई नई दीप्ति, तुम्हारे पैरों में आ गया नया संगीत का स्वर, | कोई भी उसे तर्क से खंडित कर सकता है। तुममें उतर आया माधुर्य, मार्दव, शायद किसी को बुला लाए तो फूल है गुलाब का खिला; तुम कहते हो, परम सुंदर है। कोई बुला लाए। तुम्हारे जीवन में अगर थोड़ी मधुरिमा फैल जाए, भी सिद्ध कर सकता है कि नहीं है सुंदर। तुम सिद्ध न कर थोड़ा स्वाद तुम्हारा बदल जाए तो जो तुम्हारे निकट हैं, जिन्हें तुम पाओगे कि सुंदर है। सीधी-सी बात, कि गुलाब का सुंदर फूल, स्वभावतः चाहते हो आएं, जागें, वे भी मार्ग को पाएं, उनके तुम सिद्ध कैसे करेगे कि सुंदर है? सौंदर्य की क्या कसौटी है, जीवन में भी फूल खिलें...। | क्या मापदंड है? क्या आधार है घोषणा का, कि सुंदर है? तुम्हारी आकांक्षा तो ठीक है, लेकिन जल्दबाजी मत करना। दार्शनिक सदियों से चिंतन करते रहे। अब तक तय नहीं कर तुम लाने की कोशिश ही मत करना। तुम तो चुपचाप अपने को पाए कि सौंदर्य की परिभाषा क्या है? किस चीज को सुंदर बदलने में लगे रहो। तुम्हारी बदलाहट जैसे-जैसे सघन होगी कहें? और कोई भी सिद्ध कर सकता है कि सुंदर नहीं है। सिर्फ वैसे-वैसे वे उत्सुकं होंगे। और दूसरा कोई उपाय नहीं है। घोषणा भर कर दे कि नहीं है सुंदर। कहां है सुंदर? क्या है इसमें 489 Jain Education International 2010_03 For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.340155
Book TitleJinsutra Lecture 55 Aaj Laharo me Nimantran
Original Sutra AuthorN/A
AuthorOsho Rajnish
PublisherOsho Rajnish
Publication Year
Total Pages1
LanguageHindi
ClassificationAudio_File, Article, & Osho_Rajnish_Jinsutra_MP3_and_PDF_Files
File Size52 MB
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