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________________ TT हला प्रश्नः जैन मानते हैं कि जिन-शासन के श्वेतांबर वे लोग हैं, जिन्होंने पार्श्वनाथ को माना और महावीर अतिरिक्त सभी शासन मिथ्या हैं, इसलिए दूसरे को इनकार करने की वृत्ति रखी। शासन में नहीं जाना चाहिए। जाग्रत व सिद्ध | वह विरोध अब भी कायम है। ढाई हजार साल हो गए, पुरुषों के बाबत बताए जाने पर भी वे उनकी ओर उन्मुख नहीं | लेकिन श्वेतांबर की जो मान्यता है, वह अभी भी पार्श्वनाथ से होते। क्या उन्हें सन्मार्ग पर लाना संभव नहीं है? प्रभावित है। पार्श्वनाथ जाग्रत पुरुष थे। लेकिन जो पार्श्वनाथ की आंखों में आंखें डालकर देखे उनके लिए जाग्रत पुरुष थे। पहली बात : मानते तो ठीक ही हैं वे कि जिन-शासन के पार्श्वनाथ के समय में अगर ये जैन होते तो पार्श्वनाथ को न अतिरिक्त सभी शासन मिथ्या हैं। लेकिन वे जानते नहीं कि मानते; ये आदिनाथ को मानते। जिन-शासन क्या है। जिसे वे जिन-शासन समझते हैं, वह आदमी अतीत को मानता है। और जाग्रत पुरुष हो सकता है नकी मान्यता में भ्रांति नहीं है। केवल वर्तमान में। महावीर मिल जाएं तो कछ और खोजने की जिन-शासन का इतना ही अर्थ हुआः जाग्रत पुरुषों का, जीते जरूरत नहीं है। आदिनाथ मिल जाएं तो कुछ खोजने की और हए पुरुषों का शासन। जो स्वयं जागा हो, उस के साथ ही होने में जरूरत नहीं। लेकिन आदिनाथ अतीत में तो मिलेंगे नहीं। | सार है; सोए हुओं के साथ होने में सार नहीं। अतीत तो जा चुका। खोजना तो आज होगा।। तो मान्यता तो बिलकुल ठीक है। अब कठिनाई यह है कि इसलिए एक अनिवार्य दुविधा खड़ी होती है। जो आदमी जागे हुओं को कैसे जानें, कौन जागा हुआ है? तो सस्ता उपाय परंपरा को मानता है, वह जिन-शासन को नहीं मान सकता। यह है कि जिसे परंपरा से लोग मानते रहे हैं जागा हुआ, उसे मान क्योंकि जिन का अर्थ हुआ : जागा हुआ, जीवंत व्यक्ति। परंपरा लो और उसी के साथ बंधे रहो। परंपरा से ज्यादा सोयी हुई कोई को माननेवाला, परंपरा को मानने के कारण ही वर्तमान के जाग्रत बात हो सकती है? पुरुषों से वंचित रह जाता है। महावीर जागे थे। जिसको तुम जैन कहते हो, यह अगर | और ऐसा कुछ जैन ही कर रहे होते तो भी ठीक था। सभी ऐसा महावीर के समय में होता तो महावीर को न मानता। तब यह कर रहे हैं। हिंदू कृष्ण को मानते हैं। जब कृष्ण मौजूद थे तो बड़ी पार्श्वनाथ को मानता, क्योंकि पार्श्वनाथ के पीछे ढाई सौ साल अड़चन थी। हिंदू राम को मानते हैं। जब राम मौजूद थे तो बड़ी की परंपरा थी। और महावीर के समय में विवाद खड़ा हो गया अड़चन थी। था। पार्श्वनाथ को माननेवाले लोग महावीर के विरोध में थे। जाग्रत पुरुष जब मौजूद होता है तो बड़ी कठिनाई है। कठिनाई उसी विरोध से तो दिगंबर और श्वेतांबरों का जन्म हुआ। यह है कि अगर तुम उसे मानो तो तुम्हें बदलना पड़े। बदलाहट 14831 Jain Education International 2010_03 For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.340155
Book TitleJinsutra Lecture 55 Aaj Laharo me Nimantran
Original Sutra AuthorN/A
AuthorOsho Rajnish
PublisherOsho Rajnish
Publication Year
Total Pages1
LanguageHindi
ClassificationAudio_File, Article, & Osho_Rajnish_Jinsutra_MP3_and_PDF_Files
File Size52 MB
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