________________ c. com . COM प्रश्न-सार भगवान श्री की आंखों से निरंतर आशीर्वाद की वर्षा। उनके दृष्टिपात मात्र से शरीर में कंपन व अंतर्तम में बी की चुभन। मृत्यु घटित होती-सी लगना। फिर भी आत्यंतिक-मृत्यु क्यों नहीं? भगवान श्री के सानिध्य से भीतर प्रेम-प्रवाह प्रारंभ हर व्यक्ति, हर वस्तु के प्रति।। प्रेमपूरित होकर किसी से गले लगने को बढ़ने पर दूसरे द्वारा संकोच व अनुत्साह, प्रश्नकर्ता का पीछे हट जाना। मार्गदर्शन की मांग! तूने आटा लगाया और फंसाया। अब हम अकेले तड़प रहे हैं! जिम्मेवार कौन? भगवान श्री, तेरी रज़ा पूरी हो। SHREE Jain Education International 2010_03 For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org