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________________ जीवन तैयारी है, मृत्यु परीक्षा है इस गांव एक काशी, उस गांव एक काबा, हो। हर घड़ी; निमिष-पल; रात-दिन; सुख में, दुख में; हार इसका इधर बुलावा, उसका उधर बुलावा, में, जीत में; सम्मान में, अपमान में; इसे याद रखना, और गहरे इससे भी प्यार मुझको, उससे भी प्यार मुझको, इसे दोहाराते रहना तेरी रजा परी हो। और जब दोहराओ. तो किसको गले लगाऊं, किससे करूं दिखावा; केवल शब्द ही मत दोहराना, इसमें अपनी आत्मा उंडेल देना। परजात क्यों बनाऊं, दीवार क्यों उठाऊं, इस एक मंत्र में सारे मंत्र समा जा सकते हैं। हर घाट जल पीआ है, गागर बदल-बदल कर जीसस ने कहा है, 'दाई किंग्डम कम, दाई विल बी डन', जिसे दिखायी पड़ने लगा, सभी घाट उसके हैं। बहुत बार | प्रभु, तेरा राज्य उतरे; प्रभु तेरी रज़ा पूरी हो। शरीर बदले, वह सिर्फ गागर का बदलना है। बहुत बार इच्छाएं बदलीं, वह भी सिर्फ गागर का बदलना है। बहुत बार मन आज इतना ही। बदला, वह भी सिर्फ गागर का बदलना है। प्यास एक है और उस प्यास को तृप्त करनेवाला जल एक है। हर घाट जल पीआ है, गागर बदल-बदलकर। और एक बार तुम्हें यह समझ में आ जाए, यह दिखायी पड़ने लगे-थोड़ी-सी भी झलक आ जाए कि सारे कृत्यों के पीछे वही है, सारे घाटों के पीछे वही है: प्यास में भी वही, जल में भी वही; जो तुम्हें चला रहा है, वही सबको चला रहा है; जो तुम्हें राह पर चलने का सुझाव दे रहा है, वही तुम्हारे राह पर पत्थर भी रख रहा है; तो जरूर दोनों में कुछ तालमेल होगा। बिना पत्थरों के चुनौती न होगी। इसलिए पत्थर भी रख रहा है। तुम्हें पुकार भी रहा है कि आओ और चलो, और राह को दुर्गम भी बना रहा | है। क्योंकि दर्गम राह पर चलोगे तभी तम्हारा निर्माण होगा. सृजन होगा। तुम्हें आनंद की आकांक्षा से भी भरा है, और हजार-हजार तरह के दख भी पैदा कर रहा है, क्योंकि उन दखों के बीच ही अगर तुम आनंदित हो सको, तो ही आनंद का कोई अर्थ है। अगर दुख न होते और तुम आनंदित होते, तो उस आनंद में कोई रीढ़ न होती, कोई बल न होता। विपरीत स्थिति पैदा करके चुनौती पैदा की गयी है। संघर्ष का मौका तुम्हें निखारने का उपाय है। समझने की कोशिश हर घटना, हर पल में करना। और जैसे ही कभी तुम भूलने-भटकने लगो; और मन होने लगे कहने का कि हे प्रभु! यह क्या दिखा रहा है, तो तत्क्षण जाग जाना, चौंकना! अपने को झकझोर लेना और कहना, तेरी मर्जी पूरी हो। तेरी रज़ा पूरी हो। यह तुम्हारा मंत्र बन जाए-महामंत्र। इसे तुम ओंकार समझो। राम-राम जपने से जो लाभ न होगा, वह लाभ इस एक सूत्र को पकड़ लेने से होगा-तेरी रज़ा पूरी ___Jain Education International 2010_03 For Private & Personal Use Only www.jainelibrar org
SR No.340145
Book TitleJinsutra Lecture 45 Jivan Taiyari Hai Mrutyu Pariksha Hai
Original Sutra AuthorN/A
AuthorOsho Rajnish
PublisherOsho Rajnish
Publication Year
Total Pages1
LanguageHindi
ClassificationAudio_File, Article, & Osho_Rajnish_Jinsutra_MP3_and_PDF_Files
File Size40 MB
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