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________________ मांग नहीं-अहोभाव, अहोगीत किसी ने पूछा था कि तुम संसार जाना चाहते, जीवन में उतरना। नाटकीय ढंग से घुसा मारकर टेबल पर कहा कि अगर ईश्वर हो चाहते? कोई तुम्हें उतार गया है। एक दिन अचानक तुमने तो मैं चुनौती देता हूं, इसी वक्त अपने किसी देवदूत को भेजो जागकर पाया कि तुम यहां हो। हमने सदा अपने को जिंदगी के | ताकि मुझे एक चांटा मारे-चांटा सुना जा सके, देखा जा सके। बीच में पाया है। जिंदगी के प्रारंभ में तो किसी ने नहीं पाया। ऐसे कोई देवदूत तो आते नहीं, ईश्वर ऐसी चुनौतियां लेता नहीं। जरूर कोई लाया है। कोई आंख पर पट्टियां बांधकर इस बगीचे ऐसा ले तो मुश्किल में पड़ जाये। इतने लोग हैं, इतनी चुनौतियां में छोड़ गया है। हैं। लेकिन एक आदमी बीच में से उठा, उसने आकर एक चांटा बैठे-बैठे दिले-नादां ये खयाल आया है। मारा। उसने कहा, यह क्या करते हो? उसने कहा कि ईश्वर ने हम नहीं आये यहां, कोई हमें लाया है। मुझे भेजा है। ईश्वर ने कहा कि तुम इस योग्य नहीं कि देवदूत और अगर यह खयाल ही रहा तो ज्यादा देर न टिकेगा, चला भेजे जायें, मैं ही काफी हूं। जायेगा। खयाल आते हैं, जाते हैं। खयाल बसते थोड़े ही हैं। मकान तुमसे बनवा लेता है। दुकान तुमसे चलवा लेता है। खयाल का कोई बड़ा भरोसा थोड़े ही है! जब तक कि यह काम तुमसे हजार करवा लेता है। लेकिन तुमको ही जब उसने खयाल ध्यान न बन जाये, तब तक इस पर भरोसा मत करना। बनाया और तुम्हारी नियति में, तुम्हारी प्रकृति में बीज डाले यह तो आयी है तरंग, चली जायेगी। अभी आयी है, अभी भूल वासनाओं के, इच्छाओं के। उन्हीं इच्छाओं के बीजों का फिर जाओगे। क्षणभर में उतर जायेगा खयाल। रूपांतरण होता है, वृक्ष बनते हैं। जिस दिन यह खयाल ध्यान बन जाये, यह तुम्हारी स्थिर चित्त | तम जरा पक्षियों को देखो? उन्होंने तो कोई आर्किटेक्चर का की भाव-दशा बन जाये कि कोई लाया है-क्या परिणाम | कोई शिक्षण नहीं लिया। कैसे प्यारे घोंसले बना लेते हैं। ऐसे भी होंगे? परिणाम बड़े दरगामी होंगे। अगर कोई लाया है तो पक्षी हैं कि उनको जन्म देने के बाद माता और पिता तो उड़ जाते तुम्हारे अहंकार के लिए कोई जगह न रह जायेगी। जन्म किसी ने हैं। अंडा ही छोड़कर उड़ जाते हैं। अंडा बाद में फूटता है। तो दिया, जीवन किसी ने दिया। तुम क्यों अकड़े फिरते हो? तुम पक्षियों को अपने मां-बाप से मिलने का मौका भी नहीं आता। नाहक बोझ ढो रहे हो इस 'मैं' का। न तुम आये, न तुम हो, न इसलिए शिक्षण का कोई उपाय भी नहीं है, कोई स्कल नहीं। तम जाओगे। कोई लाया. कोई रखे है, कोई ले जायेगा। लेकिन जब वे पक्षी बड़े होते हैं, फिर घोंसला बनाते हैं। और हिंदू पुराण बड़ी मधुर कथा कहते हैं। जो लाया वह ब्रह्मा। जो घोंसला ठीक वैसा ही होता है जैसा उनके मां-बाप ने बनाया सम्हाले वह विष्णु। जो ले जायेगा वह शिव। तुम पर कुछ था। वे भी उड़ जायेंगे अंडे को रखकर। अंडा फूटेगा तब छोड़ते नहीं। काम ही नहीं छोड़ते कुछ। ब्रह्मा ले आया है, विष्णु / मां-बाप पास न होंगे। पुनः सदियों-सदियों अनंत काल तक सम्हाले हैं, शिव ले जायेंगे। मतलब केवल इतना है कि विराट ने ऐसा सिलसिला चलता रहेगा। तुम में एक तरंग ली है। वैज्ञानिक बड़े चकित थे कि यह घोंसला बन कैसे जाता है! वही विराट जब चाहेगा तो तरंग समा जायेगी। और घोंसला कोई छोटी प्रक्रिया नहीं है। एक पक्षी का घोंसला तुम अपने को बीच में मत लाओ। जब इतनी विराट चीजें भी | उतारकर बनाने की कोशिश करो। तुम बड़ी मुश्किल में पड़ तुम्हारे बिना हो गयीं, तो तुम छोटी-छोटी बातों का हिसाब मत जाओगे। तिनकों से, धागों से, पंखों से पक्षी ऐसे सुंदर घोंसले रखो कि मैंने मकान बनाया है। जब तुमने अपने को ही नहीं बनाते हैं। कभी-कभी तो बड़े जटिल घोंसले बनाते हैं। बनाया है तो तुम मकान भी क्या बनाओगे? यह तो जिसने तुम्हें कोई बनवा लेता है! जिसने पक्षियों को बनाया है, उसी ने बनाया है, उसी ने बनवा लिया होगा। उसी ने तुमसे यह मकान शायद पक्षियों के द्वारा घोंसले बनाने की योजना भी उनके भीतर भी बनवा लिया होगा। कर रखी है। बिना शिक्षण के करवा लेता है। एक कहानी मैं पढ़ रहा था। एक नास्तिक बोल रहा था। तुम कहते हो मैंने प्रेम किया, कि मैं एक स्त्री के प्रेम में गिर ईश्वर के विपरीत प्रमाण दे रहा था। और अंततः उसने बड़े गया। यह तुमने किया? या कि जिसने तुम्हें जन्म दिया, उसने 519 Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.340124
Book TitleJinsutra Lecture 24 Mang Nahi Ahobhav Ahogati
Original Sutra AuthorN/A
AuthorOsho Rajnish
PublisherOsho Rajnish
Publication Year
Total Pages1
LanguageHindi
ClassificationAudio_File, Article, & Osho_Rajnish_Jinsutra_MP3_and_PDF_Files
File Size28 MB
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