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________________ जिन सूत्र भागः / पर खड़े हो जाते हो, मध्य में खड़े हो जाते हो। तुम यह भी नहीं कि जागरण अलग, निद्रा अलग, तंद्रा बिलकुल अलग है। तंद्रा कह सकते कि सो गये थे, क्योंकि तुम मेरी बात पूरी तरह सुनते | तो एक मादक स्थिति है। रहोगे। और तुम यह भी नहीं कह सकते कि तुम जागे हुए थे; नमाजे-इश्क का आता भी है, जो होश कभी क्योंकि एक बड़ी राहत, जैसी कि नींद में भी नहीं मिलती, एक तो बेखुदी मेरी बढ़कर इमाम होती है। बड़ी विश्रांति, तुम्हें उस तंद्रा से मिल जाएगी। -कभी-कभी जब प्रार्थना में डूबने की इच्छा भी होती है तो तो तीसरा वर्ग है, जिसकी निद्रा तंद्रा के जैसी है। तत्क्षण तल्लीनता मेरा नेतृत्व करने लगती है। इसमें पहले वर्ग में अगर तुम हो तो अच्छा हो, आना बंद कर | नमाजे-इश्क का आता भी है, जो होश कभी देना। अगर दूसरे वर्ग में तुम हो तो संघर्ष करना; क्योंकि वह तो बेखुदी मेरी बढ़कर इमाम होती है। निद्रा तुम्हारे मन की पुरानी आदत है, उसे तोड़ना पड़ेगा। अगर -तो तत्क्षण मेरी तल्लीनता आगे आ जाती है और तीसरे वर्ग में तुम हो तो सौभाग्यशाली समझना और इस तंद्रा से मार्गदर्शक हो जाती है। यह तंद्रा वही तल्लीनता है जो मार्गदर्शक लड़ना मत; इस तंद्रा में चुपचाप अपने को छोड़ देना। क्योंकि बन जाती है। फिर फिक्र मत करना। अगर तीसरी तरह की तंद्रा जो भी मैं कह रहा हूं, तंद्रा में कुछ भी चूकेगा नहीं; वह तुम्हारे हो तो यह भी मत सोचना कि लोग क्या कहेंगे। यह भी मत पास पहुंच ही जायेगा। यह हो सकता है कि शायद तुम बाद में सोचना कि यह कहीं कोई नियम का उल्लंघन तो नहीं हो रहा है। याद न रख सको, क्योंकि याद बहुत ऊपर-ऊपर है; वह और यह भी मत सोचना कि यह कहीं बुरा तो नहीं है कि मैं बोल रहा भी गहरे पहुंच जायेगा। तंद्रा में अगर तुमने सुना तो वह सुनना हूं, और तुम सो रहे हो। नहीं, यह नींद है ही नहीं। यह तो प्रेम बड़ा गहरा है। वह तुम्हारे प्राण-प्राण में उतर जायेगा। अगर की एक बड़ी गहरी दशा है। मेरे शब्द तुम्हारे लिए एक गहरा तुम्हारी तंद्रा की स्थिति हो तो उसे तोड़ने की कोशिश मत करना। संगीत लेकर आ रहे हैं। तुमने शब्दों को ही नहीं सुना है, संगीत तब तो आंख बंद करके शांति से उसमें डूब जाना। क्योंकि मैं को भी पीना शुरू कर दिया है। तुमसे जो कह रहा हूं, वह सिर्फ वचन ही नहीं हैं; मैं तुमसे जो मोहब्बत में नियाज़ और हुस्ने-महवे-नाज क्या मानी कह रहा हूं, उन वचनों में कुछ तुम्हें दे भी रहा हूं। कुछ ऊर्जा का मैं इस दस्तूर को तरमीम के काबिल समझता हूं। संचरण हो रहा है। कोई ऊर्जा का संवाद हो रहा है। अगर तुम __ और जहां प्रेम है, वहां नियम-उल्लंघन हो सकता है। क्योंकि जागे रहे तो तुम्हारे मन के विचार चलते रहेंगे। अगर तुम सो गये प्रेम इतना परम नियम है कि फिर किसी और नियम की कोई तो तुम सुन न सकोगे। अगर तंद्रा में रहे तो जागने के विचार भी जरूरत नहीं है। तो तुम केवल शिष्टाचार के कारण सम्हालकर न चलेंगे और नींद भी न होगी। बीच में खड़े देहली पर तुम मेरे और आंख खोलकर मत बैठे रहना। अगर तंद्रा तुम्हें अनुभव बहुत करीब आ जाओगे। तुम्हारा हृदय मेरे हृदय के बहुत करीब | होती हो तो... धड़कने लगेगा। मोहब्बत में नियाज़ और हुस्ने-महवे-नाज क्या मानी? तो सोच लेना, तुम्हारी जैसी दशा हो...। अगर तीसरी हो तो तो फिर प्रेम में नम्रता और अहंकार तक का कोई मूल्य नहीं। बड़ी सौभाग्य की। तंद्रा तो ध्यान की अवस्था है। इसी को तो मैं इस दस्तूर को तरमीम के काबिल समझता हूं। सूफियों ने मस्ती कहा है। एक नशा चढ़ जाता है। एक नशे फिर तो सभी दस्तूर तरमीम के काबिल हैं। फिर तो शिष्टाचार जैसा है। और लगता है, जिसने पूछा है, उसकी स्थिति तंद्रा की | की फिक्र छोड़ो। प्रेमी के लिए कोई नियम नहीं है। मगर बहुत ही होगी; क्योंकि मेरा अपना अनुभव यही है, उसने कहा है, कि गौर से देखना। कहीं ऐसा न हो कि नींद पहले तरह की हो! जैसी मीठी, गहरी और लुभावनी...। अगर पहले तरह की हो तो अपने को सम्हालना। या तो आना तंद्रा की स्थिति मीठी है, गहरी है, लुभावनी है। लेकिन तुम्हारे बंद करो...। लिए नयी होगी, इसलिए तुम उसे निद्रा समझ रहे हो। थोड़ी एक चर्च में ऐसा हुआ एक बूढ़ा आदमी, लेकिन करोड़पति, | उसके साथ और पहचान बढ़ेगी तो तुम साफ-साफ देख लोगे सामने ही बैठता था। और जब पादरी बोलता तो न केवल वह 4861 Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.340122
Book TitleJinsutra Lecture 22 Parmatma ke Mandir ka Dwar Prem
Original Sutra AuthorN/A
AuthorOsho Rajnish
PublisherOsho Rajnish
Publication Year
Total Pages1
LanguageHindi
ClassificationAudio_File, Article, & Osho_Rajnish_Jinsutra_MP3_and_PDF_Files
File Size40 MB
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