________________ -जिन सत्र भागः तुम कंजूस मत रहना, बस इतना काफी है। मिशनरी भूलकर मत बनना और कंजूस मत होना। इन दोनों के बीच संतुलन! किसी को जबर्दस्ती समझाने-बुझाने की कोई भी जरूरत नहीं है। कोई जबर्दस्ती समझाये-बुझाये, समझा है, बूझा है ? यह बड़ा नाजुक काम है। ये धागे बड़े रेशम के धागे हैं। ये जंजीरें नहीं हैं लोहे की कि बांध दी और घसीट लाये। ये रेशम के धागे हैं, बड़े कच्चे धागे! और कच्चे धागे से कोई खिंचा आये तो ही ठीक है। लोहे की जंजीरों से कोई खिंचा भी आ गया तो उसका आना न आना बराबर है। बिना धागे के ही ला सको तो ही कुशलता है। आज इतना ही। 408 Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org