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________________ जिन सूत्र भाग : 1 क्या मजा हो जो किसी को न जगाए कोई। जैसे व्यक्ति जितनी देर सोयें, उतना ही उपद्रव कम! आप तो न अजा हो-न तो मस्जिद में कोई अजान पड़े; न सहर सोये ही रहें।' हो-न सुबह हो, न सूरज ऊगे; न गजर हो-न कोई मंदिर में महावीर कहते हैं, धार्मिकों का जागना श्रेयस्कर है; अधार्मिकों घंटियों को बजाये; मिलन की रात! क्या मजा हो जो किसी को का सोना श्रेयस्कर है। क्योंकि अगर अधार्मिक सक्रिय हो उठे, न जगाये कोई! | तो अधर्म ही करेगा। महावीर यह कह रहे हैं कि अधार्मिक का तो सोने में हमारी बड़ी आतुरता है। जिसको हम सुख कहते हैं, शक्तिहीन होना अच्छा है; धार्मिक का शक्तिशाली होना अच्छा अगर तुम गौर से पाओगे तो वह एक मधुर सपना देखने से ज्यादा है। महावीर यह कह रहे हैं, धार्मिक के पास बल हो तो धर्म नहीं है। जिसको हम सुखी जिंदगी कहते हैं, वह ऐसी जिंदगी है, घटेगा; अधार्मिक को पास बल होगा तो अधर्म घटेगा, वह कुछ जिसमें मधुर स्वप्नों का काफी जाल है। जिसको हम दुखद न कुछ उपद्रव करेगा। राजनीतिज्ञ बीमार रहें तो अच्छा है; जिंदगी कहते हैं, वह भी सपनों की ही जिंदगी है; उसमें सपने अस्पतालों में रहें तो अच्छा है। ठीक हुए कि वे कुछ उपद्रव दुख से भरे हैं, नाइटमेयर जैसे हैं। करेंगे। बिना उपद्रव किये वे रह नहीं सकते हैं। उपद्रव के लिए लेकिन सपना तो सपना है। तुम सुखद सपने देखकर भी एक अच्छे-अच्छे नाम देंगे। उपद्रव को सजायेंगे, शंगारेंगे। उपद्रव दिन मर जाओगे तो क्या होगा? को क्रांति, स्वतंत्रता, समानता, साम्यवाद, न मालूम क्या-क्या इसलिए महावीर कहते हैं, अर्थ बाहर नहीं है; अर्थ तो तुम्हारे नाम देंगे। लेकिन बहुत गहरे में उपद्रव की आकांक्षा है। खाली भीतर की ज्योति के प्रज्वलित हो जाने में है। तुम्हारी रोशनी | वे बैठ नहीं सकते। तुम्हारे जीवन को भर दे और सपनों को तितर-बितर कर दे। और महावीर व्यंग्य कर रहे हैं। वे यह कह रहे हैं, अधार्मिक सोये तुमने अब तक पूर्व जन्मों में जो अर्जित कर्म किये हैं, जिनके | रहें तो ठीक; धार्मिक जागे। कारण जड़ें मजबूत हो गई हैं सपनों की, जिनके कारण सपने इसलिए महावीर की पूरी प्रक्रिया यह है कि तुम जागो भी, साथ सत्य मालूम होते हैं, जिनके कारण जो नहीं है वह बहुत ही साथ तुम धार्मिक भी होते चलो; धार्मिक होते चलो और साथ वास्तविक मालूम हो रहा है-उनको हिलाओ, प्रकंपित करो! ही साथ जागते भी चलो। अन्यथा शक्ति भी गलत हाथों में उन जड़ों को तोड़ो और उखाड़ो! पड़कर खतरनाक सिद्ध होती है। ऐसा ही तो हुआ है, विज्ञान ने 'धार्मिकों का जागना श्रेयस्कर है और अधार्मिकों का सोना शक्ति सोये हुए आदमियों के हाथ में दे दी। ऐसा नहीं है कि श्रेयस्कर है।' बड़ा बहुमूल्य वचन है! महावीर कहते हैं, पहली दफा वैज्ञानिकों को अणु की शक्ति का पता चला है। धार्मिकों का जागना श्रेयस्कर है और अधार्मिकों का सोना महावीर भी अणुवादी थे। जैन-दर्शन दुनिया का सबसे प्राचीन श्रेयस्कर है। अणुवादी दर्शन है। आइंस्टीन और रदरफोर्ड ने जो इस सदी में नादिरशाह के जीवन में भी ऐसा उल्लेख है। उसने एक सूफी पाया है, वह जैन कोई पांच हजार साल से कहते रहे हैं कि पदार्थ फकीर को पूछा, क्योंकि वह खुद बहुत आलसी था और सुबह | अणुओं का समूह है, पदार्थ अणुओं से बना है। दस बजे के पहले नहीं उठता था। रात देर तक नाच-गान अणु का सिद्धांत जैनियों का प्राचीनतम सिद्धांत है। और चलता, शराब चलती, तो सुबह दस-बारह बजे उठता। उसने जैसे-जैसे विज्ञान साफ होता जा रहा है, वैसे-वैसे पराने शास्त्रों एक सूफी फकीर को पूछा कि मेरे दरबारी मुझ से कहते हैं कि के अर्थ साफ होते जा रहे हैं। ऐसा लगता है कि अणु-शक्ति को इतना आलस्य ठीक नहीं है, तुम क्या कहते हो? उस सूफी | खोज लिया गया था। संभवतः महाभारत का अंत अणुशक्ति से फकीर ने महावीर का यह वचन दोहराया मालूम होता है; क्योंकि ही हुआ। लेकिन फिर एक बात समझ में पूरब को आ गई कि बिलकुल यही वचन उसने दोहराया। उसने कहा, आप तो अगर | जब तक लोग सोये हुए हैं, इतनी शक्ति उनके हाथ में होना बिलकुल सोयें चौबीस घंटे तो अच्छा है। नादिरशाह थोड़ा खतरनाक है; उसका दुरुपयोग होगा। शक्ति उसके हाथ में होनी चौंका। उसने कहा, 'तुम्हारा मतलब?' उसने कहा, 'आप चाहिए, जिसके भीतर सदभाव पहले आ गया हो तो फिर ठीक 328 Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.340115
Book TitleJinsutra Lecture 15 Manushyo Satat Jagrat Raho
Original Sutra AuthorN/A
AuthorOsho Rajnish
PublisherOsho Rajnish
Publication Year
Total Pages1
LanguageHindi
ClassificationAudio_File, Article, & Osho_Rajnish_Jinsutra_MP3_and_PDF_Files
File Size44 MB
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