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________________ प्रेम से मुझे प्रेम है जोड़ लो। गणित बता दिया, नियम बता दिया, अब तुम कर लो शुभाकांक्षाओं से पटा पड़ा है। तुम्हारा होश काम आएगा, मेरी हल। इससे ज्यादा उसका कोई संबंध नहीं है। | शुभाकांक्षा थोड़े ही! और वे कहते हैं, कहीं तुम्हारे मन में ऐसा अगर तुम चले जाओ, खो जाओ, तो तुम्हारे लिए बैठकर रोता | भरोसा आने लगे जैसा कि काहिलों और सुस्तों को आ जाता नहीं और न बीहड़ में तुम्हें चिल्लाता हुआ आता है। क्योंकि है—किसी के आशीर्वाद से सब हो जायेगा तो वे वैसे ही मर तीर्थंकरों की धारणा ऐसी है। वे कहते हैं, जिसे भटकना है वह रहे थे और मर जाते। वे वैसे ही डूब रहे थे, वे और हाथ-पैर भटकेगा। जब अपने ही भटकने से ऊब न जायेगा, तब तक | तड़फड़ाना छोड़ देते हैं। वे कहते हैं, अब आशीर्वाद मिल गया, भटकेगा। और अगर कोई भटकना ही चाहता है तो उसे न अब सब ठीक है। भटकने देना उचित नहीं है, उसकी स्वतंत्रता में बाधा है। अब महावीर कहते हैं, ऐसी झूठी बातों के लिए मेरे पास मत इस बात का भी मूल्य है। आना। दीक्षा देते हैं। दीक्षा का अर्थ है : इनिसिएशन। दीक्षा का जीसस की बात भी समझ में आती है कि जो जाग गया है, वह अर्थ है : वे तुम्हें बता देते हैं, जो उन्हें हुआ है। वे कहते हैं, यह उसको सहारा दे जो सोया है। महावीर की बात भी समझ में रहा रास्ता। ज्योति फेंक देते हैं रास्ते पर। दीक्षा का तो अर्थ है, आती है। वे कहते हैं, सहारा देना एक बात है; लेकिन वह उदघाटन कर देते हैं एक द्वार का। जिस द्वार से वे प्रवेश किए हैं, सहारा न चाहता हो तो उस पर सहारा थोपना बिलकुल दूसरी वह द्वार तुम्हें भी इंगित कर देते हैं, कि वो रहा। आशीर्वाद का बात है। इसलिए वे उपदेश देते हैं, आदेश नहीं देते। वे मार्ग | अर्थ है कि वे तुम्हारे लिए प्रार्थना करते हैं। आशीर्वाद का अर्थ है दिखा देते हैं, फिर यह भी नहीं कहते कि चलो, उठो। फिर तुम्हें कि वे मंगल कामना करते हैं। आशीर्वाद का अर्थ है कि तुम्हारी झिझकारते नहीं हैं, तुम्हें सोए से उठाते नहीं, तुम्हारे सपने को यात्रा में वह भी सम्मिलित हैं। नहीं, तीर्थंकर आशीर्वाद नहीं तोड़ते नहीं। वे कहते हैं, अगर तुम्हारी यही मर्जी है तो तुम्हारी देते। ये अलग-अलग परंपराओं के शब्द हैं, इनका वैयक्तिक स्वतंत्रता है। वे तुम्हारी वैयक्तिक स्वतंत्रता को अलग-अलग अर्थ समझ लेना जरूरी है, अन्यथा बड़ी भ्रांति सम्मान देते हैं। अगर तुमने भटकना तय किया है तो यही तुम्हारी | पैदा होती है। नियति है, अभी और भटको; जब तुम्हें समझ में आ जाये तब पहली दफा मैं बंबई निमंत्रित हुआ, कई वर्ष पहले-एक लौट आना। इसका मतलब यह हुआ: वे तुम्हें भेड़-बकरी नहीं महावीर जयंती पर। मेरे पहले, एक जैन मुनि बोले तो मैं तो बहुत मानते, तुम्हें मनुष्य मानते हैं। तब तम्हें समझ में आयेगी बात कि | चकित हुआ, क्योंकि उन्होंने जो बातें कहीं, वे बिलकुल अ-जैन उनकी बात का भी बल है। वे कहते हैं, तुम कोई भेड़ थोड़े ही हो | थीं। उन्होंने कहा महावीर का जन्म हआ जगत के कल्याण के कि हम तुम्हें उठाकर कंधे पर ले आएं। तुम मनुष्य हो! तुम्हारे लिए। ऐसा जैनी मुनि कहते हैं। जैनी भी कहते हैं। उनको पता भीतर परमात्मा छिपा है। और अगर तुम्हारे परमात्मा ने यही नहीं कि वे क्या कह रहे हैं। यह तो हिंदू-भाषा है। कृष्ण का अभी तय किया है कि अभी और थोड़ा झेलना है दुख, और थोड़ा जन्म हुआ जगत के कल्याण के लिए। यह समझ में आ जाता जीना है नर्क, तो कौन तुम्हें रोक सकता है! तुम्हारे ऊपर कोई भी है। यदा-यदा हि धर्मस्य...जब-जब होगी धर्म को अड़चन, नहीं है, तुम अंतिम हो। मुझे कुछ मिला है, वह मैं कह देता हूं तब तब आऊंगा...युगे-युगे। यह ठीक है। अवतार की भाषा उपयोग करना हो कर लेना, न करना हो न कर लेना। ऐसा तो बिलकुल ठीक है कि जब जरूरत होगी मेरी, मैं आऊंगा, तुम निर्वैयक्तिक संबंध है। फिक्र मत करना। जब अंधेरा होगा तब आऊंगा दीया लेकर। इसलिए पहली बात तीर्थंकर सदगरु नहीं है। दसरी जब जाल फैलेगा घणा का और हिंसा का. तब आऊंगा तम्हें बात-तीर्थकर दीक्षा तो देता है, आशीर्वाद नहीं देता। उठाने। और हमेशा-हमेशा, तुम भरोसा कर सकते हो। आशीर्वाद सदगुरु देता है। आशीर्वाद का अर्थ है: मेरी लेकिन तीर्थंकर ऐसी भाषा नहीं बोलते। तीर्थंकर की भाषा ही शुभाकांक्षा तुम्हारे साथ है। न, महावीर बिलकुल निर्वैयक्तिक अलग है। तीर्थंकर कहता है, कौन किसका कल्याण कर सकता हैं। वे कहते हैं, मेरी शुभाकांक्षा क्या करेगी? नर्क का रास्ता है? महावीर पैदा हुए अपने पिछले जन्मों के कर्म-फल के 307 Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.340114
Book TitleJinsutra Lecture 14 Prem se Muze Prem Hai
Original Sutra AuthorN/A
AuthorOsho Rajnish
PublisherOsho Rajnish
Publication Year
Total Pages1
LanguageHindi
ClassificationAudio_File, Article, & Osho_Rajnish_Jinsutra_MP3_and_PDF_Files
File Size35 MB
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