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________________ जिन सूत्र भागः नहाहा राज्य का...हिटलर का भी जो युद्ध-मंत्रालय था वह क्योंकि कोई गंदी फिल्म आयी थी, कोई अमरीकन। बेटे को सुरक्षा...। कहते हैं, हम अपनी रक्षा के लिए तैयारियां कर रहे मना किए थे, लेकिन बेटे को मना किया तो बेटा भी उत्सुक हैं। बड़े मजे की बात है, अगर सभी रक्षा के लिए तैयारियां कर हुआ। बेटा पहुंच गया। घर लौटकर बहुत नाराज हुए, नाराज रहे हैं तो हमला कौन कर रहा है? डर किसका है फिर? सभी हुए क्योंकि वे भी खुद वहां थे। बड़ा कष्ट जो हुआ वह यह हुआ सुरक्षा चाहते हैं तो फिर तो भय का कोई कारण नहीं है। कि बेटे ने उनको भी वहां पा लिया। उनके बेटे से मैंने पूछा, फिर लेकिन झूठी हैं ये बातें। सुरक्षा ऊपर-ऊपर है, बातचीत है, कहा क्या उन्होंने? बेटा हंसने लगा। कहने लगा, 'कहते दिखावा है। और इसलिए आज तक यह भी तय नहीं हो पाया क्या! कहने लगे, मैं यही देखने आया था कि तुम आये तो नहीं कि किसने कब आक्रमण किया। किसने किया? हिटलर कहता हो!' इसके लिए तीन घंटे फिल्म में बैठे रहे! है, हमने नहीं किया; दूसरों ने किया। दूसरे कहते हैं, हिटलर ने पर ऐसा ही चलता है। तुम अपने को देखना शुरू करो। या। जो जीत जाता है अंततः वह इतिहास लिखता है। जागना शुरू करो। लंबी और कठिन यात्रा है। सहारे और इसलिए वह इतिहास में लिख देता है कि दूसरे ने किया। जो हार | सांत्वनाओं से काम न चलेगा। पूजा-प्रार्थनाओं से काम न जाता है, वह तो इतिहास लिख नहीं सकता। इसलिए बड़ा मजा चलेगा। एक-एक इंच अपने जीवन को रूपांतरण करना होगा। चलता है। पक्का नहीं है कि जो हार गया है, हो सकता है सुरक्षा एक प्रामाणिकता चाहिए। ही कर रहा हो, जो जीत गया वही आक्रामक हो। आक्रामक बड़े 'जन्म दुख है, बुढ़ापा दुख है, रोग दख है, मृत्य दख है।' कुशल हैं, आक्रमण करने के पहले वे ऐसा इंतजाम करते हैं कि और है क्या जीवन में? यहां विफलता मिले तो दुख है, यहां ऐसा प्रतीत हो कि वे सुरक्षा कर रहे हैं। सफलता मिलती है तो भी दुख लाती है। यहां गरीब रह जाओ तो और ऐसा समाज, राष्ट्र और व्यक्ति, सभी के संबंध में सही दुख है, यहां अमीर हो जाओ तो भी सुख नहीं आता। यहां हार है। तुम अपनी तरफ सोचना। तुम जरा अपने दांव-पेंच जाओ तो, तो दुख है ही, यहां जीत जाओ तो भी हाथ में कुछ पहचानना। तुम जरा अपनी स्ट्रेटेजि, वह जो तुम्हारी कूटनीति है लगता नहीं। यहां हारे और जीते सब बराबर हैं: सफल और भीतर, उसको देखना। असफल सब बराबर हैं। तुम अपने बेटे को मारते हो, तुम कहते हो, 'तेरे ही लिए, तेरे | 'अहो! संसार दुख है, जिसमें जीव क्लेश पा रहा है। अहो ही हित के लिए...।' यही तो राजनीति है। दुक्खो हु संसारो।' महावीर कहते हैं, आश्चर्य। चकित होकर क्रोध आया था, बेटे ने घड़ी तोड़ दी; या तुमने चाहा था बेटा कहते हैं, आश्चर्य! इतना दुख है, फिर भी लोग उसमें डुबकी चुप बैठे और वह चुप नहीं बैठा; या तुमने चाहा था वह सिनेमा लगाये जा रहे हैं। इस दुख की धारा को गंगा समझा है! डुबकी न जाए और चला गया-चोट तुम्हारे अहंकार को लगती है। | लगा रहे हैं! लेकिन तुम कहते हो, तेरे सुधार के लिए। अब यह बड़े मजे की यहां दरख्तों के साये में धूप लगती है बात है, हर बाप सुधार रहा है, लेकिन कोई बेटा सुधरता नहीं चलो यहां से चलें और उम्र भर के लिए। मालूम होता। तो जरूर कहीं सुधार में कुछ भूल है, नहीं तो कुछ | __यहां तो दरख्तों का जो साया है उसके पास भी धूप ही खड़ी है। तो सुधरते। इतना बड़ा आयोजन चलता है! यहां तो साये में भी धूप लगती है। यहां तो सुख के साथ भी दुख नहीं, कोई किसी को सुधारने में उत्सुक नहीं है; लोग अपनी ही खड़ा है। यहां तो शांति के आसपास भी अशांति ने ही घेरा चलाने में उत्सुक हैं। अपना अहंकार! बाप का भी अहंकार है। बांधा है। उसकी आज्ञा तुमने तोड़ी, यह बरदाश्त के बाहर है। सिनेमा यहां दरख्तों के साये में धूप लगती है गये, यह बड़ा सवाल नहीं है; यह तो बहाना है, सिनेमा तो वे | चलो यहां से चलें और उम्र भर के लिए। खुद भी जाते हैं। जो जीवन को देखेंगे, जो जरा आंख खोलकर जीवन को एक सज्जन को मैं जानता हूं। अपने बेटे को मना किए थे, | देखेंगे, जो विचार करके जीवन को देखेंगे, जो विवेक से जीवन Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.340103
Book TitleJinsutra Lecture 03 Bodh Gahan Bodh Mukti Hai
Original Sutra AuthorN/A
AuthorOsho Rajnish
PublisherOsho Rajnish
Publication Year
Total Pages1
LanguageHindi
ClassificationAudio_File, Article, & Osho_Rajnish_Jinsutra_MP3_and_PDF_Files
File Size27 MB
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