________________ जिन-शासन की आधारशिला : संकल्प - जितने मथे जाओगे, जितने जलोगे, जितने तूफानों की टक्कर है! जैनों के चौबीस ही तीर्थंकर क्षत्रिय थे। लड़ाकों की बात है। लोगे, उतना ही तुम्हारे भीतर सत्य आविर्भूत होगा; उतनी ही | लड़ना ही जानते थे। तूफान में ही किश्ती पली थी। तलवार ही तुम्हारी धूल झड़ेगी; गलत अलग होगा; निर्जरा होगी व्यर्थ से। | उनकी भाषा थी। युद्ध ही उनका अनुभव था। यद्यपि सब युद्ध झाड़-झंखाड़ ऊग गए हैं, घास-फूस ऊग आया है-आग | छोड़ दिया, अहिंसक हो गए। पर क्या होता है, इससे क्या फर्क लगानी होगी, ताकि वही बचे, जिसके मिटने का कोई उपाय | पड़ता है? चींटी को भी नहीं मारते थे, लेकिन योद्धा होना तो नहीं। अमृत ही बचे; मृत्यु को तो खाक कर देना होगा। यह जारी रहा। अपने स्वभाव से कोई भिन्न हो नहीं पाता। संसार भी बैठे-बैठे न होगा। इसके लिए बड़े प्रबल आह्वान की, बड़ी छोड़ दिया, प्रतियोगिता के सारे स्थान भी छोड़ दिये, जहां-जहां प्रगाढ़ चुनौती की जरूरत है। संघर्ष, युद्ध की बात थी, हिंसा थी, सब छोड़ दिया लेकिन किश्ती को भंवर में घिरने दे, मौजों के थपेड़े सहने दे! फिर भी योद्धा तो नहीं मिट पाता। भंवर दुश्मन नहीं है। महावीर के रास्ते पर भंवर मित्र है, जैनों के सारे तीर्थंकर क्षत्रिय हैं। यह आकस्मिक नहीं है। एक क्योंकि उसी से लड़कर तो तुम जगोगे; उसी से उलझकर तो तुम | भी ब्राह्मण तीर्थंकर न हुआ। ब्राह्मण की भाषा लड़ने की भाषा उठोगे। उसी की टक्कर को झेलकर, संघर्ष करके, विजय | नहीं है; समर्पण की भाषा है; शरणागति की भाषा है। करके, तुम उसके पार हो सकोगे। इसलिए महावीर का मार्ग | बड़ी मधुर कहानी है। झूठ ही होगी, पर मधुर है। और माधुर्य कहा जाता है, 'जिन का मार्ग', जिनों का मार्ग; उनने, जिन्होंने इतना गहरा है उसमें कि झूठ की मैं फिक्र नहीं करता; मेरे लिए न शब्द का अर्थ है : जिसने जीता। जैन शब्द उसी | मधुर ही सत्य है। इतनी सुंदर है कि सत्य होनी ही चाहिए। वही जिन से बना। जिन का अर्थ है : जिसने जीता। कसौटी है सत्य की। सभी शब्द बड़े अर्थपूर्ण होते हैं। बुद्ध का अर्थ है : जो जागा। कहानी है कि महावीर का जन्म तो हुआ था एक ब्राह्मणी के जिन का अर्थ है जो जीता। गर्भ में पैदा तो हुए थे ब्राह्मणी के गर्भ में लेकिन देवताओं ने जिंदों में अगर जीना है तुझे, तूफान की हलचल रहने दे। कहा, 'ऐसा कभी हुआ है कि जैन तीर्थंकर और ब्राह्मण के घर -यह प्रार्थना मत कर कि तूफान को हटा लो! फिर तू क्या पैदा हो? ऐसा तो कभी सुना नहीं। और ब्राह्मण के घर पैदा करेगा? होगा तो फिर जिन तीर्थंकर कैसे होगा? फिर तूफान में किश्ती | धारे के मुआफिक बहना क्या, तौहीने-दस्तो-बाजू है। पल ही न पाएगी। फिर संघर्ष की भाषा ही न होगी। फिर उसके -यह तो तेरे बाहुओं का अपमान हो जाएगा, अगर तू धारा | जीवन में तलवार की धार और चमक न होगी। देवता बड़े के साथ बहा। बिबूचन में पड़े। और दुनिया का पहला आपरेशन हआ। उन्होंने धारे के मुआफिक बहना क्या... निकाल लिया ब्राह्मणी के गर्भ से महावीर को। तीन या चार -फिर तेरे हाथों का क्या होगा? फिर तेरी बाजुओं का क्या | महीने के थे, तब उन्होंने गर्भ निकाल लिया। बदल दिया गर्भ होगा? फिर तेरे बल को चुनौती कहां मिलेगी? यह तो अपमान एक क्षत्राणी के गर्भ से। वहां एक लड़की पैदा होने को थी, उसे होगा तेरी ऊर्जा का! समर्पण-नहीं! निकालकर ब्राह्मणी के गर्भ में रख दिया, महावीर को एक क्षत्रिय परवर्द-ए-तूफां किश्ती को धारे के मुखालिफ बहने दे! के गर्भ में रख दिया। यह किश्ती तो तूफान से ही पैदा होती है। यह किश्ती तो तूफान | यह भी बड़ी सूचक है बात। स्त्री स्वभावतः समर्पण की भाषा में ही पलती है। यह किश्ती तो जन्मती ही तूफान में है। जानती है। इसलिए ठीक ही किया कि स्त्री को निकाल लिया परवर्द-ए-तूफां किश्ती को.... क्षत्रिय के गर्भ से, ब्राह्मण के गर्भ में रख दिया। स्त्रैण भाषा - इस तूफान में पैदा हुई जीवन की किश्ती को, धार के समर्पण की है। मुखालिफ बहने दे, उलटा चलने दे। चल गंगोत्री की यात्रा पर! | जिनके मन कोमल हैं, फूल जैसे कोमल हैं, उनके लिए नारद महावीर का मार्ग योद्धा का मार्ग है-क्षत्रिय थे, स्वाभाविक का ही मार्ग है। पर जिनके हृदय में तलवार की चमक और कौंध 9 Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org